
रोकस सपोर्ट स्टॉफ से सेवाएं ले रहे सुविधाओं के प्रति विभाग उदासीन 15 साल से अल्प मानदेय पर दो दर्जन से अधिक शिक्षित बेरोजगार अस्पताल में दे रहे सेवाएं। सीएमएचओ आए दौरे पर कर्मचारियों के हित में कुछ नही बोले।
पिपरिया।
मंगलवार को सीएमएचओ किल कोरोना अभियान की समीक्षा करने सरकारी अस्पताल पहुंचे। कोरोना जांच,फीवर क्लीनिक,किल कोरोना अभियान की समीक्षा की। इस दौरान जय मातादी समिति ने डेढ़ दशक से रोगी कल्याण मद से काम कर रहे अस्पताल सपोर्ट स्टॉफ को नियमित किए जाने की मांग रखी। सीएमएचओं डॉ. सुधीर जैसानी ने कहा यह रोगी कल्याण समिति के अधीन है इसमें वह कुछ नही कर सकते वही कहा पहले 5 सौ रुपए मिलते थे अब ढाई हजार मिल रहे है इतने में वह काम कर रहे है। कम मानदेय लगता है तो छोड़ दे। समिति के संदीप शर्मा ने कहा स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमित नही कर सकते तो कलेक्टर रेट देनिक वेतन दे दिया जाए ताकि आर्थिक परेशानियां कम हो सके। सीएमएचओं ने इस सवाल पर कोई उचित जवाब नही दिया। दो कर्मचारियों को पूर्व में कलेक्टर रेट पर सीएमएचओं के आदेश से ही रखा गया इस सवाल पर सीएमएचओ ने कहा रोकस मद से उन्हें नही रखा गया है
जबकि लिखित आदेश है। सीएमएचओं ने कहा कोरोना उनकी प्राथमिकता है लेकिन अस्पताल में सबसे निचले स्तर पर जमीनी कार्य कर रहे कोरोना वारियर्स के प्रति उनका रवैया तल्ख रहा जबकि जिले की कमान उनके हाथ है। वे प्राथमिकता से अपने इन स्वास्थ्य कर्मियों की बेहतरी के लिए उन्हे नियमित न सही कम से कम देनिक वेतन पर रखे जाने के आदेश तो जारी कर सकते है या इस दिशा में विचार का आश्वाशन तो दे स्काई थे। लेकिन कोई आश्वासन तक उन्होंने नही दिया। एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी ने बताया किल कोरोना अभियान की समीक्षा के लिए सीएमएचओ आए थे एएएनएम के कार्य के प्रति असंतोष जताया है।
जब कोई नही होता तो सपोर्ट स्टॉफ ही देता है सेवाए।
अस्पताल में डाक्टरों की कमी है गंभीर दुर्घटनाओ,बीमारी वाले मरीजों को सबसे पहले रोगी कल्याण समिति का सपोर्ट स्टॉफ ही प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाए देता है। यह स्टॉफ विशेषज्ञों की तरह फ्रेक्चर वाले घायलों को लकड़ी की पतली पिंचिया बांध कर ड्रेसिंग करते है फटे सिर,हाथ पैरों की ड्रेसिंग करते है। घायलों की जान बचाते है अस्पाल का काम आसान करते है इनके बारे में शासन प्रशासन एक पल को नही सोचता यह गंभीर सवाल है व्यवस्था पर प्रश्र चिन्ह भी है।