रामराज्य बहुमत का राज्य नहीं सर्वमत का राज्य है – आचार्य बृजेश दीक्षित
पिपरिया।नगर में चल रहे श्रीराम यज्ञ और मानस सम्मेलन में प्रवचन श्रृंखला के चौथे दिवस में जबलपुर से पधारे मानस मृगेंद्र की उपाधि से अलंकृत पंडित बृजेश दीक्षित ने भरत चरित्र की महिमा का बखान करते हुए कहा कि भरत साक्षात प्रयाग हैं भरत जी लक्ष्मण जी एवं हनुमान जी श्रीराम जी के विमल यश हैं, माता कैकेई पर भरत जी का क्रोध भी उन्हें श्री राम के चरणों से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि रामराज्य बहुमत का राज्य नहीं है रामराज्य सर्वमत का राज्य है। हृदय परिवर्तन का राज्य है। उनके पूर्व मानस आलोक पंडित राघव किंकर जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि जब अयोध्या में निराशा का अंधेरा छा गया तब भरत जी दीपक बनकर उजाला करते हैं, भरत जी सिद्धांतों का सिद्धांत है आदर्शों का आदर्श है और फलों का फल है। अयोध्या से पधारे पंडित मधुसूदन शास्त्री ने श्रीराम वन गमन प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि जब जीवन में कामना आ जाती है तो भगवान दूर हो जाते हैं। मानस मुक्ता पंडिता यशुमति देवी ने कहा कि श्री भरत श्रीराम प्रेम की साक्षात मूर्ति हैं। वे धर्म की वास्तविक धुरी को धारण करते हैं इसीलिए गोस्वामी जी ने कहा है कि यदि इस संसार में भरत का जन्म नहीं होता तो धर्म की संपूर्ण धुरी को भला कौन धारण करता। जबलपुर की मानस प्रवक्ता आस्था दुबे ने केवट प्रसंग की मार्मिक चर्चा करते हुए केवट को श्रीराम जी का अद्भुत भक्त बताया। उन्होंने हनुमान जी को दूसरे केवट के रूप में निरूपित करते हुए कहा कि हनुमान जी ने समुद्र को लांघा और श्री राम जी के कार्य को पूर्ण किया।
नौ दिन तक चलने वाले इस विशाल आयोजन में दोपहर एवं रात्रि दोनों सत्रों में विद्वानों द्वारा राम कथा की जा रही है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हो रहे हैं।