नर्मदा जयंती, नर्मदा को बचाने की बात कौन करेगा ?
सभी दोस्तों को नर्मदा जयंती की शुभकामनायें – गोपाल राठी
————————————————-
नर्मदा जी से लगाव बचपन से ही है l पक्का पुल बनने के पूर्व सांडिया घाट से सैकड़ों बार नाव और कच्चे पुल से नर्मदा पार करके हम रायसेन जिले में स्थित अपने गांव उठिया से पिपरिया आना जाना करते थे l
नर्मदा तो वही है लेकिन जिस नर्मदा का जल लोटा में भरकर हम गटगट पी जाते थे वो अब संभव नही है l जिस नर्मदा में इन दिनों खूब पानी होता था उसमें अब बहुत दूर तक जाने के बाद घुटने डूब पाते है l किनारे पर कचरा ही कचरा बिखरा है l सब अपने अपने काम में लगे है किसी को फुर्सत ही नहीं है सब कुछ देखने की l जिस तरह कुत्ता अपने बैठने की जगह साफ करके बैठता है उसी तरह हम सब अपने अपने घेरे की सफाई करके काम चला लेते है l कचरा अपने आप मे कोई समस्या नही है लेकिन पॉलीथिन ,प्लास्टिक ,रबर ,थर्मोकोल का कचरा भयंकर समस्या बन गया है जिसका हम शहरों में रोजाना साक्षात्कार करते है l
हम नर्मदा के प्रति श्रद्धा तो खूब रखते है लेकिन कभी यह नही सोचते कि हमारी मां नर्मदा का जल शुद्ध और निर्मल कैसे रहे ,हमारी माँ नर्मदा हमेशा कल कल बहती रहे ,उसका प्रवाह बना रहे ,उसमे पर्याप्त जल राशि हमेशा मौजूद रहे l आस्था के साथ ये सब सरोकार और सफाई जुड़ जाए तभी हमारी श्रद्धा सही मानी जा सकती है l
ऐसा नहीं है कि किसी को इसकी चिंता नहीं है l सरकारी और गैर सरकारी हर स्तर पर चिंता व्याप्त है l सभी लोग अपने अपने हिसाब से प्रयास भी कर रहे है लेकिन स्थिति दिनों दिन भयावह होती जा रही है l इसलिए ये सब प्रयास टोटके और चोचले साबित हो रहे है l क्योकि नर्मदा जी के प्रति आस्था रखने वालों के आचरण और व्यवहार में कोई विशेष अंतर नही आया है l हमारी गंदगी पसंद और पर्यावरण विरोधी श्रद्धा सारे प्रयास पर पानी फेर देती है l
आज पूरे नर्मदांचल में नर्मदा जयंती पर्व मनाया जा रहा है lसालो पहिले 1978 में होशंगाबाद मे सामाजिक कार्यकर्ता ज्ञानी मस्ते ने सबसे पहिले कुछ नागरिकों के साथ नर्मदा जयंती समारोह मनाया था l यह नागरिक पहल धीरे धीरे सरकारी हो गई l वर्तमान मे होशंगाबाद का जयंती पर्व पूरी तरह से सरकार का आयोजन हो गया है आस्थावान जनता सिर्फ तमाशबीन है l होशंगाबाद का अनुसरण करते हुए अब सभी नर्मदा तट पर पर नर्मदा जयंती के आयोजन होने लगे है l कहीं दीपदान होगा , कहीं चुनरी उत्सव होगा , कहीं नर्मदा पुराण तो कहीं कहीं भंडारा और कन्याभोज आयोजित हो रहे है l समय के साथ बढ़ती श्रद्धा आस्था ,और कर्मकांड ने जयंती पर्व को बहुत महत्वपूर्ण बना दिया है l परंपरागत त्यौहरो की तरह आज भी नर्मदा जी मे आस्था का सैलाब नज़र आएगा
नर्मदा और उसकी सहायक नदियो पर बने बांधो को विकास का पर्याय मानने वाला श्रद्धालू कभी नर्मदा के घटते जलस्तर को लेकर चिंतित नहीं होते l यह आश्चर्य का विषय है l अभी जनवरी-फरवरी मे नर्मदा के घटे हुए जलस्तर को देखकर लगता है कि आने वाले सालो मे कल – कलकर अनवरत बहने वाली जीवनरेखा नर्मदा की धार ना टूट जाये ? नर्मदा किनारे पर थर्मल और परमाणु बिजली घर और कल -कारखाने भी नर्मदा जी के अस्तित्व पर खतरे के रूप मे सामने खड़े है l सरकार के संरक्षण मे खनन माफिया द्वारा नर्मदा जी की रेत का दिन रात वैध एव अवैध खनन आज प्रदेश मे शीघ्र अरबपति बनने का सबसे चोखा धंधा है l रेत माफिया के लोभ -लालच ने नर्मदा जी की छाती को छलनी कर दिया है – जिस कारण नदी की जलधारण क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है l वैध अवैध खनन के के कारोबार में लगे लोगों और उन्हें संरक्षण दे रहे सरगनाओं में नर्मदा मैया के भक्त बनने की होड़ लगी हुई है । वे बड़े बड़े अनुष्ठान करवाते है और नर्मदा तट पर भंडारा करके हज़ारों लोगो को जिमाते है । उनकी श्रद्धा और भक्ति की सर्वत्र चर्चा होती है ।
कभी कभार नर्मदा जी मे जाकर पन्नी बीनने या नकली तांबे के सिक्के चढ़ाकर नर्मदा को शुद्ध करने , प्रदूषण मुक्त करने का आप अपना कर्तव्य भले ही निभा रहे हो – परंतु यह पर्याप्त नहीं है l इस तरह के टोटके कर कुछ प्रचार अवश्य मिल जाता है l नर्मदा जी के अस्तित्व को बचाने के लिए गंभीरता से सोचने और कुछ करने की ज़रूरत पहिले भी थी परंतु अब तो यह और ज़्यादा महसूस होने लगी है l