नहीं रहे खून वाले बाबा के नाम से जाने पंकज उसरेठे
आमला _ वायु शब्द को जब उल्टा पढ़े तो शब्द बनता है युवा जब वायु अपने पूर्ण वेग से चलती है तओ बड़े से बड़े वैट वृक्ष, पहाड़ो को उखाड़ फेकती है और इसी प्रकार जब एक युवा चलता है तो हर असम्भव कार्य को भी संभव बना देता है एक ऐसा ही युवा जो दिनकर की भांति आमला में निकला और अपने ओजस्वी वाणी और प्रेरक कार्यो से पूरे आमला ही नही बल्कि बेतूल जिले को प्रकाशित किया ऐसे ही सूर्य का आज अस्त होने बेतूल जिले के लिये किसी अनहोनी से कम नहीं आमला क्षेत्र में चाहे कोरोना महामारी में भूखों को भोजन कराने की बात हो या लावारिश लाशों के अंतिम संस्कार की बात हो या रक्तदान शिविरों की बात हो किसी भी सामाजिक कार्य मे पंकज उसरेठे का नाम सबसे पहले आता है बैतूल जिले में *रक्त की गंगा लाने* की बात हो तो उसमें भागीरथी प्रयास करने वाले पंकज जैसे कर्मवीर,दानवीर का प्रयास है एक ऐसा कर्मवीर जिसने अपने से पहले दुसरो की चिंता की अपनी जवानी को सेवा में झोंक दिया ।
सच कहें तो बैतूल जिले में खून की गंगा बहाने वाले रक्तवीर थे पंकज जिन्हें हमेशा खून वाले बाबा के नाम से याद किया जाएगा आज एक ऐसा व्यक्ति हमारे बीच से चले गया जिसने बैतूल ब्लड बैंक को हजारों यूनिट रक्त का दान कराया विपरीत समय कोरोना महामारी में आपने रक्त का दान करके दुसरो का जीवन बचाया वास्तव में जनकल्याण के नीव के पत्थर को आज हमने खो दिया आपके कार्य हमेशा हम सबको प्रेरणा देते रहेंगे ऐसे रक्त के देवता को सादर नमन जिसने खुद जलकर भी दूसरों को रोशनी दी अपनी हर बात मुझे बताने वाले खून के देवता को सादर नमन ।