बच्चों के प्यार अहम को त्यागकर एक हुऐ दंपत्ति प्रेम, समर्पण और त्याग से ही चलता है परिवार – न्यायाधीश शालिनी शर्मा

आमला। जिला एवं सत्र न्यायाधीश अफसर जावेद खान के निर्देशन में स्थानीय अपर जिला सत्र न्यायाधीश शालिनी शर्मा सिंह एवं व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 एन.एस.ताहेड व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 कुमारी रिना पिपल्या की खण्डपीठ के समक्ष विभिन्न मामले सुलह हेतु रखे गऐ थे जिसमें से अपर जिला न्यायाधीश आमला के समक्ष कुल 19 मामलों का निराकरण हुआ जिसमें तलाक के 4 मामलों में पति पत्नि आपसी शिकायतों को भूलकर एक दूसरे के प्रति जो आरोप प्रत्यारोप लगाऐ थे उन आरोपो के संबंध में मध्यस्थता के दौरान लोक अदालत की खण्डपीठ के समक्ष जब दोनो पक्षों को बैठाकर समझाईस दी गई और एक दूसरे के प्रति अहम को त्यागकर प्रेम को बच्चो के भविष्य को महत्व देने के लिए प्रेरित किया गया तो जो पक्ष एक दूसरे के विरूध्द तलाक लेने के लिए किसी भी प्रकार का समझौता करने को तैयार नही थे न्यायाधीश गण की समझाईस पर वे विवादों को भूलकर हमेशा के लिए एक दूसरे के साथ रहने को तैयार हो गए।
केस नं. 1
कोविड़-19 के प्रथम लॉक डाउन के दौरान आई.टी. सेक्टर में काम करने वाले बैंगलोर में रहने वाले एक परिवार को जब नौकरी छोड़कर आना पड़ा तो विषम परिस्थितियों में पति पत्नि के बीच विवाद उत्पन्न हो गया। दोनो किसी कीमत पर साथ रहने को तैयार नही थे पत्नि ने घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज करवा दिया तो पति ने तलाक का मुकदमा दर्ज करवा दिया। परामर्श केन्द्र की विभिन्न मध्यस्थता कार्यवाहीयों में समझाईस देने के बावजूद भी वे दोनो साथ रहने को तैयार नही थे। लॉक डाउन के दौरान पति पत्नि को एक दूसरे की और बच्चों की कमी खलने लगी मोबाईल फोन पर बात होती रही लेकिन पहल करने को दोनो पक्ष तैयार नही थे बच्चें भी पापा मम्मी के साथ न रहने की वजह से दूखी रहते थे ऐसी स्थिति में अपर जिला न्यायाधीश शालिनी शर्मा सिंह, एन.एस.ताहेड, रिना पिपल्या और पारिवारिक मामलों के जानकार वकील राजेन्द्र उपाध्याय के कुशल मार्गदर्शन व समझाईस की वजह से दोनो पति पत्नि साथ रहने के लिए तैयार हो गऐ। पति पत्नि दोनो बच्चों सहित दोनो परिवार के माता पिता भी लोक अदालत में हुऐ इस राजीनामे से बहुत खुश हुऐ।
केस नं. 2
उच्च शिक्षित परिवार जिसमें पति पी.एच.डी. तक शिक्षित होकर शिक्षा के कार्य से जुड़ा हुआ है और पत्नि भी शिक्षा विभाग में कार्यरत है दोनो पति पत्नि के मध्य पिछले दो तीन वर्ष से तलाक का मुकदमा न्यायालय मंे चल रहा था। पति और पत्नि के मध्य बच्चों के प्यार और भविष्य को देखते हुऐ उन्हे समझाईस दी गई तो लगातार मध्यस्थता के प्रयास किये गये आखिर में पति पत्नि अपने बच्चों की खातिर अपने अहम को भूल कर साथ साथ रहने के लिए तैयार हो गए। न्यायाधीश एन.एस.ताहेड़ एवं कु. रिना पिपल्या एवं अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष वेद प्रकाश साहु, अनिल पाठक, मोहम्मद शफी खान, रवि देशमुख, रमेश नागपुरे, महेश सोनी, मधुकर महाजन सहित अन्य अधिवक्ता गणो ने राजीनामा कर खुशी खुशी अपने परिवार में लौटने वाले सदस्यों को पौधे भेंट किए। कुछ पौधे न्यायालय परिसर में भी लगाऐ गऐ।

केस नं. 3
चेक बाउंस के एक मामले में दो पक्षों के मध्य 1 लाख 80 हजार रूपयें का विवाद पिछले 8 सालों से विचाराधीन था दोनो पक्ष एक दूसरे पर झूठा होने का आरोप लगा रहे थे लेकिन जब दोनो पक्षों को समझाईस दी गई तो दोनो पक्ष सुलह के लिए तैयार हो गए जिसके विरूध्द चेक देने का आरोप और खाते में पैसे न रखने की वजह से चेक बाउंस होने का आरोप लगा था उसके द्वारा 1 वर्ष में किश्तो में चेक धन राशि देने की शर्त मान ली गई और इस तरह 8 वर्ष पुराने प्रकरण में सुलह हो गई।
कुल 49 प्रकरणों का हुआ निराकरण
आमला न्यायालय में कुल 49 प्रकरणों का निराकरण हुआ। पति पत्नि के 16 प्रकरणों में सुलह हुई। दुर्घटना मुआवजा के 9 प्रकरणों में 32 लाख 45 हजार रूपयें का अवार्ड पारित किया गया। चेक अनादरण के 12 मामलो में आपसी सहमती से विवाद का निराकरण हुआ। 3 सिविल वादों में भी सुलह हो गई।

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