मन नहीं लग रहा तो अपनो से बात करिए :संदीप चतुर्वेदी
सब लोग एक दूसरे को हेल्प करने का एक चैन बनाइए. जो जहाँ हैं और जो कर सकते हैं कीजिए. सरकार के भरोसे मत बैठिए. इससे बुरा क्या देखना बचा है कि वहीं डरावना सब वापस लौट आया है. हौसला रखिए. दस दिन कम कविताएँ लिखिए पर मदद कीजिए. छोड़ दीजिए ipl देखना, अपने दोस्तों को फ़ोन करिए. उसका हाल लीजिए.
किसी से नाराज़ हैं तो मान जाइए. सबको अपना मानिए. बच्चे को प्यार करिए. शराब-सिगरेट के पैसे अगर बचा सकते तो बचा लीजिए. किसी ज़रूरतमंद को फ़ोन पे कर दीजिए. किसी को खाना खिला दीजिए.
इंसान की मौत सीख देती है अपनों का जाना तोड़कर रख देता है. सबसे बात करिए, कोई मानसिक अवसाद से ना घिरे इसका ख़्याल रखिए. छोड़ दीजिए कुछ रोज़ परीक्षा और नौकरी की जिद्द, बस कुछ दिन अपने फ़ोन को संचार का एक नायाब माध्यम मानिए. हम बहुत छोटे लिखने वाले हैं हमारी कोई सुनेगा भी की नहीं. पता नहीं. पर आप जो पढ़ रहे हैं, वो बचाइए हालात को.
पता नहीं ऐसा क्यूँ लग रहा जो दुर्भाग्यवश हमसे दूर जा रहे वो कुछ कहना चाह रहे थे, और हम उसे सुन तक नहीं पा रहे.
मन नहीं लग रहा तो अपनो से बात करिए.