कामती रंगपुर पंचायत में मनरेगा की मजदूरी में भारी भ्रष्टाचार

निर्माण कार्यों में किया जा रहा जेसीबी का उपयोग

सोहागपुर// जनपद पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पंचायतो में जमकर भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है और यह सब संबंधित अधिकारियों की मिली भगत से हो रहा है जिसके चलते जानकारी होने के बावजूद अधिकारी कार्रवाई नहीं करते विभिन्न निर्माण के नाम पर पैसों की लूट का खुला खेल को अंजाम दिया जा रहा है ऐसा ही एक मामला ग्राम पंचायत कामती में देखने को मिला जिसमें निर्माण कार्यों के दौरान मनरेगा के तहत मजदूरों से कार्य न कर कर अधिकतर काम मशीनों द्वारा कराया गया और उसके बाद मजदूरों के खाते में पैसा डालकर निकलवा लिया गया। यह पूरा कारनामा पंचायत के प्रतिनिधि शंकर लाल पाल एवं कर्मचारियों अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। महिला आरक्षित सीट पर सरपंच चुनी गई महिला के पति द्वारा कार्यों में हस्तक्षेप कर हेरा फेरी की जा रही है। यही नहीं सरपंच पति द्वारा चेको और बिलों पर महिला सरपंच के हस्ताक्षर भी कर दिए जाते हैं जो की पूरी तरह 420 और कूट रचना की श्रेणी में आता है

प्रतिनिधि द्वारा ग्राम पंचायत का दौरा करने पर पता चला कि पिछले एक वर्ष में ग्राम पंचायत में लगभग मनरेगा के तहत 3 अमृत सरोवरों निर्माण, ग्राम पंचायत में हाई स्कूल की बाउंड्री वॉल निर्माण, सीमेंट रोड निर्माण, किया गया है। जिम मनरेगा के तहत किए गए कार्यों में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। सरपंच पति द्वारा अपनी जान पहचान के लोगों के खाते में मजदूरी की राशि डाली गई एवं बाद में उसे मजदूर से वापस निकलवा कर जेसीबी चलाने वाले ठेकेदार को दे दिए गए। ऐसा अनेकों कार्य में गया है जिसमें कि मनरेगा के तहत मजदूरों से कार्य कराया ही नहीं गया परंतु उनके खाते में मस्टर द्वारा पैसा डालकर पुनः निकलवा लिया गया। गांव के एक मजदूर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सरपंच पति द्वारा मनरेगा के तहत किए गए कार्यों की मजदूरी के पैसों को उनके खाते में डाल दिया जाता है और उसके बाद 100 ₹200 देकर बाकी के पैसे निकलवा कर वापस ले लिए जाते हैं। पिछले वर्ष ग्राम बीजाखरी के कुछ मजदूरों ने अमृत सरोवर निर्माण में कार्य किया था परंतु उनकी मजदूरी नहीं दी गई थी। मजदूरों द्वारा काफी दिनों तक सरपंच पति एवं सचिव से मजदूरी की मांग की गई परंतु उन्हें पैसा नहीं मिला और बात आई गई हो गई।


जब प्रतिनिधि द्वारा मामले की बड़ी किस जांच की गई तो पता चला कि ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा के तहत किए गए कार्यों में कई मास्टरों के माध्यम से लगभग 375000 रुपए की राशि मजदूरों के खाते में स्थानांतरित की गई और उसके बाद यह राशि निकालकर जेसीबी सहित अन्य मशीनों से कार्य करने वाले ठेकेदारों के खाते में ट्रांसफर कर दी गई। इसके अलावा सरपंच पति द्वारा एक रिश्तेदार के खाते में भी मजदूरी की राशि स्थानांतरित की गई है जो की जांच का विषय है।
तालाब निर्माण कार्य में जेसीबी मालिकों को कार्य से ज्यादा भुगतान किया गया और बाद में उनसे अपने हिस्से के पैसे वापस लिए गए यह खेल काफी वर्षों से चला आ रहा है लेकिन जवाबदारी अपना हिस्सा लेकर आंखें बंद कर शांत बैठ जाते हैं।

सोशल ऑडिट और जांच बनी दिखावा मात्र—-

आश्चर्य की बात यह है कि समय-समय पर पंचायत का सोशल ऑडिट भी होता है जिसमें लेखन तकनीकी सहित अन्य कर्मचारी होते हैं और ग्राम सभा में इसकी जानकारी देना आवश्यक होता है परंतु ऑडिटर भी अपना मुनाफा लेकर सभी काम घर बैठ कर लेते हैं पिछले हफ्ते ही 22 जनवरी को ग्राम सभा होना था जिसमें कोई भी उपस्थित नहीं हुआ और घर जाकर रजिस्टर पर हस्ताक्षर कर लिए गए यह कैसी ग्राम सभा, यह कैसा सोशल ऑडिट,यह जांच का विषय है और जांच करने वाले भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी को भी सब पता है, परंतु उनके द्वारा कार्यवाही न करना कई शंका और कुसंकाओं को जन्म देता है

ग्रामीणों ने मांग की है कि ग्राम पंचायत कामती रंगपुर द्वारा किए गए भ्रष्टाचार्यों की बारीकी से जांच की जाए तो और भी कई मामले सामने आ सकते हैं। ग्राम पंचायत की कैश बुक व अन्य खातों की जांच बारीकी से उच्च अधिकारियों द्वारा की जानी चाहिए ताकि ग्राम पंचायत मैं हो रहे विकास कार्य भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ सके।

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