नर्मदापुरम
धर्म के अवतार हैं भरत : आचार्य सदभव
नर्मदापुरम। राम चरित मानस में एक से बढ़कर एक चरित्र हैं। उनमें भी महात्मा भरत का चरि
त्र अति उत्तम है। वे धर्म और प्रेम दोनों की परिसीमा हैं। गोस्वामी जी ने स्वयं लिखा है कि यदि संसार में भरत का जन्म नहीं होता तो पृथ्वी पर धर्म की धुरी को कौन धारण करता। यह बात गुरुवार को ग्राम आरी में राम कथा के समापन सत्र में आचार्य सदभव तिवारी ने कही।
आज की कथा बहुत ही मार्मिक रही। सस्ते पहले केवट प्रसंग का वर्णन उन्होंने किया। उन्होंने कहा कि केवट के अटपटे प्रेम और चतुराई देखकर भगवान मन ही मन मुस्काते हैं। केवट के प्रेम में भगवान इतने विभोर हो गए कि उसके पूरे परिवार का उद्धार कर दिया। यह कथा संकेत करती है कि प्रभु की भक्ति पाने के लिए ज्ञान की नहीं भाव की आवश्यकता होती है।
केवट को भक्ति प्रदान करने के बाद वनवास प्रसंग का वर्णन किया। भारत मिलाप के मार्मिक क्षण के दौरान श्रोता भावुक हो गए। बाद में भगवान के माता शबरी को नवधा भक्ति का ज्ञान कराया। आज कथा का समापन सत्र था। इस दौरान व्यास पीठ से 22 जनवरी को भगवान की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को उत्साह से मनाने का आग्रह भी किया गया।