शिवराज सरकार पत्रकारों के साथ पक्षपात पूर्ण व्यवहार त्यागे,छग सरकार से सबक ले मध्यप्रदेश सरकार  

 

सैयद खालिद केस:- वर्किंग जर्नलिस्ट का फाउंडेशन प्रेस क्लब

 

 

भोपाल। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में पत्रकार सुरक्षा कानून के अलावा अन्य घोषणाएं भी शामिल की थीं। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार अस्तित्व में आई। कमल सरकारनाथ ने वचन पत्र में शामिल घोषणा को साकार करने का प्रयास किया। बनने की वर्जिन पर आया और विधि मंत्रालय तक पहुंच भी गया। मगर सत्ता संभालने के बाद शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार के पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू करने के अभियान को अनिवार्य करने में चूक कर दिया। जो आज तक पटल पर मौजूद नहीं है। शिवराज सरकार द्वारा पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने का कोई प्रस्ताव भी अस्तित्व में नहीं लाया गया। सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना सरकार के पास पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने का कोई न तो प्रस्ताव है और न वह कमलनाथ सरकार के प्रस्ताव को अस्तित्व में लाना चाहता है। सीधे तौर पर कहें तो शिवराज सरकार का पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने

 

2018 में छत्तीसगढ़ चुनाव के समय कांग्रेस के वचन पत्र में शामिल पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की घोषणा इस वर्ष के चुनावी वर्ष में अंतत: छग की भूपेश बघेल सरकार ने इस विधान सभा में बहुप्रतिष्ठित छत्तीसगढ मीडियाकर्मी सुरक्षा कानून को लागू करने के लिए खुश करने का प्रयास किया गया है। यह बात ओर है कि कानून के अस्तित्व में आने के बाद निश्चित रूप से पापाराज़ी की कितनी सुरक्षा होगी यह आने वाला समय यादगार होगा। विधानसभा चुनाव में पापराशि की सहानुभूति संकल्प के इस प्रयास का भूपेश सरकार को आगामी चुनाव में कितना लाभ होगा यह भी आने वाला समय ही यादगार। लेकिन यह शास्वत सत्य है कि कांग्रेस ने अंतत: अपना वचन पत्र में वादा पूरा तो कर ही दिया।

 

आइए हम समझते हैं कि भूपेश बघेल सरकार प्रस्तुत करती है छत्तीसगढ मीडियाकर्मी सुरक्षा कानून’ क्या है।

 

 

छत्तीसगढ मीडियाकर्मी सुरक्षा कानून’ के नाम से इस काम में कानून के माध्यम से सुरक्षा प्राप्त करने वाले पात्र पात्रता की योग्यता आदि का भी उल्लेख है। इसके अनुसार-

 

1.ऐसा व्यक्ति (पत्रकार/मीडिया कर्मी) जिसकी गत 3 महीने में कम से कम 6 लेख जनसंचार माध्यम में प्रकाशित हो।

 

2.ऐसा व्यक्ति (लेटरकार/मीडिया कर्मी) जिसे किसी मीडिया संस्थान से गत 6 माह में समाचार संकलन के लिए कम से कम 3 भुगतान प्राप्त किया गया।

 

3. ऐसा व्यक्ति (पत्रकार/मीडिया कर्मी) जिसकी फोटोग्राफ गत 3 माह की अवधि में कम से कम 3 बार प्रकाशित हुए हों।

 

4. स्तंभकार या स्वतंत्र पत्रकार जिसका कार्य गत 6 माह के दौरान 6 बार प्रकाशित/प्रसारित हुए हों।

 

5. ऐसा व्यक्ति (पत्रकार/मीडिया कर्मी) जिसके विचार/मत गत तीन माह के दौरान कम से कम 6 बार जनसंचार में प्रतिवेदित हुए हों।

 

6. ऐसा व्यक्ति (पत्रकार/मीडिया कर्मी) जिसके पास मीडिया संस्थान में प्रतिबंधित होने का परिचय पत्र या पत्र हो।

 

छत्तीसगढ मीडियाकर्मी सुरक्षा कानून के नाम से इस लोड में मीडिया दाताओं के पंजीकरण के लिए निगरानी का गठन का प्रावधान भी रखा गया है। जिसके अनुसार:

 

1.पत्रकारों के पंजीकरण के लिए भी सरकार अथॉरिटी का निर्माण करेगी। तैयार कानून के प्रभावी होने के 30 दिन के अंदर सरकार पत्रकारों के पंजीकरण के लिए अथॉरिटी नियुक्त करेगी।

 

2. अथॉरिटी के सचिव जनसम्पर्क विभाग के उस अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा जो अतिरिक्त संचालक से मुख्य पद का न हो। इसमें दो मीडियाकर्मी भी होंगे सेवानिवृति कम से कम 10 साल हो। इनमें से एक महिला मीडियाकर्मी भी होंगी, जो छत्तीसगढ़ में रह और कार्य कर रही हों।

 

3. प्राधिकरण में शामिल होने वाले मीडिया मिशन का कार्यकाल दो साल का होगा। कोई भी मीडियाकर्मी लगातार 2 कार्यकाल से बड़ा विवरण का हिस्सा नहीं रह सकता।

 

छत्तीसगढ मीडियाकर्मी सुरक्षा कानून’ के नाम से इस अन्य पाप की सुरक्षा के लिए समिति का गठन करने का प्रस्ताव किया गया है:

 

समिति द्वारा तैयार किए गए कानून के लागू होने के 30 दिन के भीतर छत्तीसगढ़ सरकार की सुरक्षा के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति पापराशि का प्रताड़ना, धमकी या हिंसा या गलत तरीके से अभियोग लगाती है और पत्रकार को गिरफ्तार करती है इसे देखेगी।

 

इस समिति का सदस्य कौन होगा

 

कोई भी पुलिस अधिकारी, जो अतिरिक्त पुलिस अधिकारियों के पद से हटकर न हो। जनसम्पर्क विभाग के विभाग प्रमुख और तीन पत्रकार, जिनमें कम से कम 12 वर्षों का अनुभव हो। कम से कम एक महिला सदस्य होगी। इस समिति में भी नियुक्त किए गए पापपत्र का कार्यकाल दो वर्ष का ही होगा और कोई भी पत्रकार दो कार्यकाल से अधिक इस समिति का हिस्सा नहीं बन सकता है।

 

यही नहीं पापराशि की सुरक्षा के पुख्ता अख्तियार के लिए सरकार एक वेबसाइट का निर्माण भी करेगी। जिसमें पत्रिका से संबंधित प्रत्येक सूचना या शिकायत और उस संबंध में की गई कार्यवाही दर्ज की जाएगी। जो इस अधिनियम के आदेश के अधीन नहीं होगा। सूचना अपलोड करते समय यदि किसी व्यक्ति की सुरक्षा प्रभावित होती है, तो नियम ऐसे सभी उचित उपाय करेगा, जिससे संबंधित व्यक्ति की गोपनीयता और उसकी पहचान छिपाने के उपाय भी पर्याप्त होंगे।

 

पत्रकार सुरक्षा एवम कल्याण के लिए प्रतिबद्ध अखिल भारतीय पत्रकार संगठन प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आनंद लेते हुए मध्य प्रदेश के यशस्वी शिवराज सिंह चौहान ने अपील की है कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ की प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून भी अविलंब विधानसभा चुनाव से पूर्व की ओर से लागू करने की।

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