
गरीबों को पड़े रेत के लाले वही महंगे दामों पर धनाढ्यों के जारी है मकानो दुकानों के निर्माण कार्य प्रशासन की मात्र औपचारिक कार्यवाही रेत चोरों की हो रही हर तरफ बल्ले-बल्ले
पिपरिया- शहर में रेत चोरों के हौसले रेत चोरी में सातवें आसमान पर बुलंद हैं पाली,बिजनवाडा,कुम्भावड, जमाडा,रामपुर, खापरखेडा के साथ और भी अन्य नदियों का सीना छलनी कर महंगे दामों पर दडेगम शहर में हर जगह डाली जा रही रेत ,जमकर फल फूल रहा यह रेत चोरी का व्यवसाय व्यापार ।
चाहे तंगहाल गलियाँ हो चाहे हो सडक बिना रोक टोक बेखौफ निडरता से डाली जा रही जगह जगह रेत जैसे ही रात का अंधेरा होता है यह रातों के राजा रेत चुराने मे सक्रिय हो जाते हैं इनका खूफिया तंत्र इतना तगडा और मस्त है कि आधिकरियों की हर पल की खबर पर रातदिन इनकी नज़र जमी रहती है यह रात में उल्लू और साँप गोहटों के भी बाप है इनकी कदम ताल से जमीनी जहरीले कीडे भी दुहाई मांगते हैं जैसे कि ठंडी में लोग ओढने रजाई मांगते है ।
सूत्रों की माने तो जब इन अवैध रेत उत्खनन में कार्यरत ट्रैक्टर ट्रालियों को राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा पकड़ा जाता है तो यह लोग फड़फड़ा जाते हैं और इन ट्रैक्टर ट्रालियो को अधिकारियों से छोड़ने का कई बार प्रलोभन देने के साथ गुहार भी लगाते हैं जब इनको मामला हल होते नज़र नही आता तो फिर छुट भैया नेताओ से फोन भी लगवाते हैं।
ज्ञात हो विगत कुछ दिनो पहले प्रशिक्षु तहसीलदार पर भी फोन पर धमकी दे एक व्यक्ति के द्वारा ट्रैक्टर ट्राली छोड़ने का दबाव बनाया गया था ।
सूत्रों के अनुसार 60से 70 ट्रैक्टर ट्राली सुबह और रात दे रहे नदियों से रेत चोरी को अंजाम? रात्रि के समय सबसे जायदा मात्रा में ट्रालियों में त्रिपाल ढांक नदियों से रेत निकाल खोदे खाय जा रहे है यह रेत चोर, इनको पकडना अकेले राजस्व विभाग के कंट्रोल से बाहर है अगर राजस्व विभाग की टीम के साथ पुलिस टीम भी पूरी ईमानदारी के साथ दबिश दे तो दोनो थाने इन ट्रैक्टर ट्रालियों से लबालब भर जाए और इनके खुफिया तंत्र भी रफूचक्कर हो जाये , अगर सभी कुछ इसी प्रकार चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं कि रेत नीलामी प्रक्रिया के पहले ही यह रेत चोर नदियों की सारी रेत को सुरसा मुखी श्रीमुख मंडल ट्रेक्टर ट्रालियोँ से डकार मार हजम कर जाये ।
वही कुछ रेत चोरी करने वाले चुरकट
आत्म विश्वास से सरोवार है उनकी दबंगई रखने का माध्यम और कहना है कि हम भी कई विभागो में माल(रुपया) पहुँचाते हैं तब कहिं जाकर हम रेत उठाते है अब सबसे बडा सवाल यह माल कहाँ कहाँ देते हैं यह अबुझ सवाल? हो सक्ता है यह झूठे भी निकले लेकिन शहर में दडेगम रेत का डलना इनके सत्य को भी शायद कहीं ना कहीं सवालिया निशान खडे करता है ।
वही कम पढ़े लिखे कुछ इन गवारों की सोच और मानना है कि भैया करवादो कार्यवाही जित्ते लगे उत्ते तो हम दो दिन में रेत चोरी कर माल निकालने का दमखम रखते हैं?
इन रेत चोरों पर कुछ राजस्व विभाग के अधिकारी भी मुंह देख देख कर कार्रवाई करते हैं मान लो
अगर किसी ट्रैक्टर ट्राली पर कार्रवाई हो भी गई तो यह तो पता लग जायेगा लेकिन किस ट्रेक्टर पर क्या कारवाही हुई? कितना जुर्माना ठोंका? उसका पता नही चल पाता? नाही इस संबंध में कोई जानकारी अपलोड नहीं की जाती?
यह बात तो सभी जानते हैं कि यह अवैध रेत का कारोबार कोई भी माई का लाल बंद नहीं करा सकता? लेकिन अगर इन रेत चोरों को समझाइश दी जाए कि अपने वाहनों की स्पीड रफ्तार पर थोड़ा अंकुश लगाये, सकरी गलियोँ में रेत ना डाले, क्योंकि पैदल स्कूल आने जाने वाले छोटे बड़े छात्र-छात्राओं, राहगीरों को बड़ी तकलीफों का सामना करना पड़ता है।
इनको यह बात भी अच्छे से पढाई जाये कि यह रात्रि में जिस भी मोहल्ले में रेत डालने जाये तो नींद मे डूबे बेकसूर थके हारे बेचारे वार्ड वासियों की नीद हराम ना करे मतलब रेत धीरे से कम आवाज के साथ डाले हार्न का भी कम उपयोग करे मान लो हार्न के इस्तेमाल करने की जरुरत पड भी गई तो थोड़े कम प्रेशर में बजाये वैसे भी आप सभी रेत चोर रातों के राजा और सिकंदर हो पोरबंदर हो ।