चिता की राख पर बैठकर महिलाएं आजीविका के लिए ढूंढती हैं सोना चांदी के टुकड़े

रिपोर्टर,अक्षय सोनी मुलताई

चिता की राख पर बैठकर महिलाएं आजीविका के लिए ढूंढती हैं सोना चांदी के टुकड़े

 

महाराष्ट्र का परिवार पीढय़िों से कर रहा कार्य

 

(अक्षय सोनी मुलताई)

मुलताई। नगर के मोक्षधाम में कुछ महिलाएं ठंडी हो चुकी चिता की राख पर बैठकर आपस में बातचीत करते हुए बड़ी सहजता से कुछ ढूंढते हुए नजर आई। देखने में यह दृश्य भले ही कुछ अजीब लगे लेकिन उन महिलाओं के लिए यह सामान्य था क्योंकि उनका यही कार्य है कि ठंडी चिता में उन्हें कुछ सोने चांदी के टुकड़े मिल जाएं जिससे उनकी आजीविका चल सके। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मृतक के मुंह में कुछ भी सोने चांदी टुकड़ा अथवा छोटा जेवर अवश्य डालते हैं जो पूरा शरीर जलकर खत्म होने के बाद भी चिता में रहता है और उन्ही टुकड़ों के भरोसे महाराष्ट्र से आई महिलाएं अपनी आजीविका चलाती हैं इसलिए उनके लिए यह रोजमर्रा का काम है।

 

पीढय़िों से परिवार की महिलाएं कर रही काम

तारा रोहने बताती है कि वह परिवार सहित वरुड महाराष्ट्र से वर्षों से मुलताई के मोक्षधाम में आ रही हैं तथा इसके अलावा वे अन्य नगरों के भी मोक्षधाम में जाती हैं। यहां चिताओं में कभी सोना चांदी मिलती है तो कभी नही मिलती लेकिन यह काम है इसलिए करना पड़ता है। इसके लिए महिलाएं विशेष तौर पर पूरे दिन के लिए ऑटो किराए पर लेकर आती है तथा जगह जगह स्थित मोक्षधाम में चिताएं खंगालती है। हालांकि यदि चिता में कुछ नही मिलता तो महिलाएं जिस पानी में चिता की राख बहाई जाती है उस पानी को भी छानकर धातुएं ढूंढने का प्रयास करती हैं जिससे उन्हें कुछ न कुछ धातु का टुकड़ा अवश्य मिलता है।

 

नही लगता कोई भय ना होता है संकोच

एक तरफ हिंदू समाज में अंतिम यात्रा में महिलाएं मोक्षधाम नही जाती और यही परंपरा वर्षों से चल रही है लेकिन इन महिलाओं की तो पूरी आजीविका चिताओं की राख से जुड़ी हुई है। जब इनसे पूछा गया कि क्या इन्हे चिता की राख पर बैठने में कोई भय या संकोच नहीं लगता तो पार्वती रोहने कहती है कि नहीं यह सब तो काम का हिस्सा है और आज तक वे कई चिताओं से सोना निकाल चुकी हैं लेकिन उन्हें कभी कोई परेशानी नहीं हुई। उन्होंने बताया कि उनके बच्चे भी यही काम करते हैं और उनके लिए यह कार्य पेट पालने से जुड़ा हुआ है इसलिए किसी तरह का संकोच नहीं होता।

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