जिला प्रशासन की अनदेखी 4 माह बाद भी नहीं हुआ स्वास्थ सुविधाओ में सुधार,प्रसूता हो रही परेशान बढ़ रही मौतें
नर्मदापुरम। प्रदेश के पूर्व मुखिया शिवराज मामा ने महिला कल्याण ,उद्यान,एवं उनके स्वास्थ की सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं बनाकर विभागो के सुपुर्द तो कर दिया मगर कई विभाग अधिकारी की लचर लापरवाही के चलते कई जिदंगीयां इस दुनिया में आने से पहले ही खत्म हो गई।
आए दिन नर्मदापुरम जिले के संबंधित शासकीय अस्पताल में सिर्फ ओर सिर्फ औपचारिकता करने दिखावा कर रैफर करने का प्रचलन बना दिया गया है।
मामला विगत 4 माह पुराना है जिसमे पिपरिया के एक छोटे से ग्राम झालौंन में रहने वाले मीडिया कर्मी दीपेश पटेल की पत्नी का प्रसव समय पूर्ण होने पर शासकीय अस्पताल पिपरिया में भर्ती कराया गया । जहां बार बार डॉक्टर को फोन लगाने पर भी डॉक्टर नहीं आए और नर्स स्टॉफ को निर्देश देते रहे जिसमे बताया जा रहा था जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ है । दो दिन दर्द से कहारने के बाद जब डिलेवरी हुई तो सारा स्टॉफ मौन, सुबह तड़के 4 बजे स्टॉफ ने डॉक्टर सुषमा वर्मा को सूचना दी। बार बार पूछे जाने पर भी कुछ नहीं बताया करीबन दो घंटे तक बच्चे को ऑक्सीजन देने पर हल्की हलचल शुरू हुई और जिला अस्पताल रैफर कर दिया मगर फिर वही लचर प्रणाली जननी सुरक्षा वाहन की, जैसे तैसे 108 की व्यवस्था हुई जिला अस्पताल पहुंचने से पूर्व बच्चे ने दम तोड दिया ।
मामले में लिखित आवेदन जिला कलेक्टर को प्रेषित कर सीसी टीवी फुटेज जांच एवं संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग भी गई मुख्यमंत्री हेल्प लाइन पर भी शिकायत की मगर अभी तक कोई कार्रवाई भी नहीं की गई । अब उम्मीद है हमारे नए मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव जी से शायद कोई उचित कदम उठाया जाएगा।
इसी बीच कायाकल्प टीम का भी दौरा हुआ अस्पताल फिर से सर्व सुविधा युक्त हुआ , मगर सिर्फ चंद घंटों के लिए बंद कमरे में मीटिंग हुई इसके बाद उक्त अधिकारी का जवाब मीडिया के लिए ये रहा मीडिया से बात नहीं की जा सकती उपर से आदेश नहीं है अदभुत है न स्वास्थ विभाग और जिला प्रशासन
आपको बता दे की जब एक पत्रकार के साथ इस प्रकार की दुर्घटना के बाद कार्रवाई नहीं की गई तो आगे किससे उम्मीद की जाएगी।