रंग बरसे रस बरसे काव्य निशा का हुआ आयोजन,कवियों ने हास्य रस की पिचकारी से सबको सराबोर किया

ओकेश नाईक जिला ब्यूरो बैतूल

 

झर बड़ा पुर्व बी एम ओ आमला उपस्थित थे। लं बोड़खी में हुआ। घाटबाला से पधारी कवियत्री माधुरी किरणों के मंत्रमुग्ध और मोहक काव्य पाठ ने सभी को मंत्र मुग्ध किए उनकी कविता दिल के इसरार से दिल के इकरार से, प्यार के रंग को रंग दे ज़रा प्यार से, मन के मनुहार से, नृत्य की धार से, दिल मिला लो ज़रा रंग के धार से सुना। कविता विनोद सनोदिया अंजान सिवनी ने शानदार कविता “वृक्ष जी भले ही ठिठंव दें हैं। अमरवाड़ा ने विशेष अंदाज में कविता “नशे में आज चूर देखिए नौजवान है

लगी है नशाखोरी की छूट ना ईमान है,कोने में बैठकर देखूं धूम्रपान कर रहा हूं

मुख में है मेरा गुटखा खुलती ना जवान सुना है। ओज के कवि अखिलेश परिहार अबोध की शानदार कविता “रंगों की त्योहार मनाते हैं, रंगों से होली में, तिनो रंग तिरंगे के, हाथों में ले लें होली में। केसरिया और श्वेत, हरा रंग। , सबके ही मस्तक पर हो, हर माथे पर बने तिरंगा, रीत बना लें होली में ” रचना सुनाई।

सदा सच बात कहने की हिमाकत कम नहीं होगी !

ख़बर कर दो ज़माने को कि मैं हूँ इक खरा सोना ।

सुनाकर खूब तालियां बटोरी आमला के वरिष्ठ कवि प्रदीप सिसोदिया की कविता हर तरफ शोर है, नहीं तू चोर है, मैं तू चोर नहीं हूं।घर मैं जिसका लुटा वो चुप हूं, मजबूर है। मांगा हमने होश तो, लुटेरे है, सभी आंकड़ों के चमत्कार ने दिए गए दस्तावेजों को बहुत तालियों से सम्मान दिया।

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