मनुष्य की कामनाएं कभी समाप्त नही होती :-पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती  महाराज 

सोहागपुर के करनपुर में आयोजित श्री सवा करोड़ शिवलिंग निर्माण एवम रुद्राभिषेक में चतुर्थ दिवस पर अनंत श्री विभूषित पश्चिमाम्नाय द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती  महाराज  को ग्रीन इंडियन आर्मी सोहागपुर संयोजक प्रियांशु धारसे व सोहागपुर  गुरुद्वारे के पुजारी सुरजीत सिंह (ज्ञानी जी) एवं उनके साथियों द्वारा उनके विश्राम ग्रह पर जाकर पुष्पमाला पहनाकर आशीर्वचन सानिध्य प्राप्त किया।

कार्यक्रम आयोजक ठाकुर हरगोविंद पुर्विया  को सफल आयोजन की शुभकामनाएं दी।

जगतगुरु शंकराचार्य  ने अपने आशीर्वचन में कहा कि लोग कहते है कि हिन्दू लकड़ी पत्थर मिट्टी को पूजते है वास्तविकता में ये हमारी प्रतीकोपासना का एक प्रकार है। केवल हम जल आकाश और जो वृक्ष, पृथ्वी, प्रकृति की पूजा करते है । केवल सनातन धर्म ही मात्र है जो किसी मनुष्य द्वारा नही बनाया गया केवल सनातन धर्म ही शाश्वत है। क्योंकि ये मनुष्य के द्वारा नही बनाया गया है। इसीलिए यह शाश्वत है। सनातन धर्म मे जल आकाश वृक्ष सहित सम्पूर्ण प्रकृति की उपासना होती है। इसके पश्चात शंकराचार्य ने कहा मूर्ति में प्रमुख होता है तत्व होता है | आक्रांताओं द्वारा मूर्ति को खंडित करने पर भी तत्त्व सुरक्षित है। मूर्ति तो पुनर्स्थापित की जा सकती है किंतु तत्व नहीं । जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा कि धर्म के पालन करने से धर्म की रक्षा होती है और जो कोई धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी सदैव रक्षा करता है। इसलिए धर्म का पालन ही हमारा सर्वोपरि कर्तव्य है। जगतगुरु शंकराचार्य जी ने कहा कि माता पिता और गुरु के ऋण से कभी मुक्त नही हुआ जा सकता । मनुष्य की कामनाएं कभी समाप्त नही होती है | मनुष्य सौ साल के जीवन के लिए हजार साल का संचय करते हैं। यही तृष्णा है। तृष्णा का अंत नही है । जो प्राप्त है उसी में संतुष्ट रहना चाहिए। भगवान की भक्ति से ही जीवन मे संतुष्टि आती है। मनुष्य जन्म भाग्य से प्राप्त होता है इसका उपयोग पशुवत नही होना चाहिए। धर्म की गति सूक्ष्म होती है इसलिए धर्म के पालन करने से ही उद्धार संभव है। तुलसीदास जी मनुष्य देह को मोक्ष का द्वार कहा है शंकराचार्य  ने कहा कि रामायण रामचरित मानस शब्द का जिनको अर्थ नही मालूम ऐसे लोग चौपाई की व्याख्या कर रहे हैं। शास्त्र कहते है पल्लभग्राही ज्ञान देश समाज संस्कृति का भला नही होगा देवता मंत्रो के और मंत्र ब्राह्मणों के आधीन होते हैं इसलिए ब्राह्मणों का अपमान नही करना चाहिए। आचार्य  सोमेश परसाई  ने कहा कि हरि कृपा के बिना जीवन मे संत का आगमन नही होता करनपुर के लिए यह सौभाग्य का अवसर है कि नगर में पूज्यपाद शंकराचार्य  महाराज पधारे है |द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य  का आना ही कार्यक्रम की सफलता का सूचक  है पूज्य गुरुदेव ने श्रीसूक्त की व्याख्या करते हुए कहा कि जिस घर मे नारी का सम्मान नही होता वहां से लक्ष्मी चली जाती है। आचार्य शएल ने शिव शब्द की व्याख्या  करते हुए कहा कि शिव शब्द में जो ई की  मात्रा है वह भगवती का बीज है बिना शक्ति  के शिव शव के समान है गुरुदेव ने दुर्गासप्तशति का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवती स्वयं कहती हैं कि संसार में जितनी भी विद्याएँ और स्त्रियां हैं उन सब में भगवती का वास है।

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