तीन दशक से ईको फ्रेंडली प्रतिमाओं को आकार दे रहे :- सुखनंदन बुशैल

पिपरिया/पचमढी
पर्यटन स्थल पचमढी में पर्यवरण को सुरक्षित रखते हुए अपनी उत्कृष्ट कला के बूते ईको फ्रेंडली प्रतिमाओं को तीन दशक से कलाकार मूर्त रूप देने में मसरूफ है। जी हां पिछले तीस वर्षों से कला के रंग बिखेरने वाले इस कलाकार का नाम है सुखनंदन बुशैल, यह गांधी गऀज पचमढ़ी में निवासरत है। खास बात यह है कि ये हमेशा से ही मिट्टी की मूर्ति का ही निर्माण करते चले आ रहे है। निर्माण में पर्यावरण के दुश्मन पीओपी का उपयोग नहीं करते है।
पर्यावरण सुरक्षा का ध्यान रखते हुए, ये मिट्टी में रफ कागज की लुगदी और कुछ मात्रा में आटा मिलाकर मूर्ति का निर्माण करतें हैं।, जिससे पानी में मूर्ति विसर्जन पश्चात जल्दी घुल जाती हैं।इनकी बनाई मूर्तियां पचमढ़ी और भोपाल में कई स्थानों पर लगी हुई हैं। पचमढ़ी उत्सव में भी इनकी उत्कृष्ट कलाकारी प्रतिवर्ष देखने को मिलती हैं।ये नगर के एक उत्कृष्ट कलाकार हैं।
शिक्षक श्री संजय टिकार, सहित श्जगदीश टिकार, लक्ष्मी प्रसाद समुन्द्रे, जगदीश जमकातर,राकेश हथगैया, निकलेश समुन्द्रे, शशिकांत हथगैया, आकाश जमकातर एवं अन्य नागरिकों ने कलाकार से मिलकर उनकी प्रतिभा की सराहना की है।

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