ईरानी समुदाय का मातमी जुलूस मंगलवारा चौक पर लगाए हिंदुस्थान जिंदाबाद के नारे
विशेष संवाददाता दीपेश पटेल
पिपरिया। अपने हुसैन की शहादत पर ईरानी समुदाय द्वारा विशेष आयोजन किया जा रहा है इनके खुदा की शहादत को यह विशेष रूप से मनाते है जिसमे अपने शरीर पर वार कर उनके जाने का दुख मनाया जाता है।शनिवार को पिपरिया इतवारा बाजार क्षेत्र से मातमी जुलूस शहर के विभिन्न स्थानों से होता हुआ मंगलवारा चौक पहुंच यहांw पहुंचने पर खुदा को याद किया । साथ ही हिंदुस्थान जिंदाबाद के नारे भी लगाए गए
आपको बता दे की यह आयोजन कर्बला की लड़ाई (ईस्वी सन् 680/एएच 61) की वर्षगांठ का प्रतीक है , जब पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन इब्न अली को यज़ीद प्रथम के आदेश पर उबैद अल्लाह इब्न ज़ियाद की सेना ने शहीद होने के दुख में किया जाता है उनके साथ आए परिवार के सदस्यों और साथियों को या तो मार दिया गया या अपमान का शिकार होना पड़ा। वार्षिक शोक के मौसम के दौरान इस घटना का स्मरणोत्सव, आशूरा के दिन को मुख्य तिथि के रूप में मनाना, शिया सांप्रदायिक पहचान को परिभाषित करने का कार्य करता है। इस मौके पर बड़ी शिया मुस्लिम आबादी वाले देशों में मुहर्रम मनाया जाता है।
कहानी सुनाना, रोना और छाती पीटना, काले कपड़े पहनना, आंशिक उपवास, सड़क पर जुलूस और कर्बला की लड़ाई का पुनर्मूल्यांकन इन अनुष्ठानों का सार है। स्व-ध्वजारोपण का अभ्यास किया गया है, लेकिन अब इसे कुछ ईरानी उसुली शिया अधिकारियों ( मराजी ) द्वारा हराम (निषिद्ध) माना जाता है।