सम्मान से जीना बहुत कम लोगों का स्वभाव होता है- कथा वाचक पंडित पुरोहित
( पंकज पाल जिला ब्यूरो चीफ )
पिपरिया- ग्राम राईखेड़ी में जबाहर बैंकर के यहाँ चल रही सप्त दिवसीय नर्मदा पुराण कथा के कथा वाचक पंडित वीरेंद्र पुरोहित निवासी राइखेड़ी ने भक्तों श्रद्धालुओं को मां नर्मदा की अनेक कथाओं का श्रवण कराया ।
कथा में हनुमान जी की मां अंजना के दूध से निकली दूधी नदी के संगम का वर्णन साथ ही शांडिल्य ऋषि की तपोभूमि सांडिया और कुब्जा संगम अजेरा का वर्णन भी हुआ कथा में मुख्य रूप से सूरजकुंड(वरमान) की कथा सुनाई, रविवार को सूरजकुंड में स्नान का महत्व भी बताया व्यक्ति को रविवार को व्रत करना चाहिए इस दिन ब्रह्मचर का पालन करना चाहिए, कथा के छठवें दिवस पंडित वीरेंद्र पुरोहित द्वारा गुप्तेश्वर महादेव(पचमढ़ी) शंकर जी ने तपस्या की जहाँ भस्मासुर कुंड से जो नदी निकली वह देव नदी जिसे देनावा के नाम से जाना जाता है जो आगे चलकर तवा नदी के नाम से विख्यात हुई है । होशंगाबाद के पास बांद्रा बांध स्थान पर जाकर नर्मदा और देनवा पवित्र नदी का संगम हुआ, नर्मदा की संपूर्ण कथा मार्कंडेय ऋषि द्वारा युधिष्ठिर को सुनाई गई है नर्मदा कथा में पांडवों का विशेष रूप से वर्णन हुआ है, पांडु नदी जहां पांडवों का अज्ञातवास किया था तपस्या की थी
जो पुण्य मनुष्य को गया, पुष्कर, प्रयाग,नैमिष क्षेत्र, कुरुक्षेत्र और प्रयाग में पिंडदान तथा तर्पण से प्राप्त होता है उससे अधिक पुण्य मनुष्य नर्मदा के अस्माहक तीर्थ में मनुष्य पा लेता है इसमें संशय नहीं है वहां ब्रह्मा विष्णु और पार्वती के साथ शंकर इंद्र आदि देव मुनियों से की भक्ति से भी श्रेष्ठ है मां नर्मदा की परिक्रमा कथा के छठे दिन के अंतिम रूप में कथावाचक पंडित पुरोहित ने बताया कि हनुमान जी के लंका से लौटने के पश्चात नर्मदा के दक्षिण तट हनुमंतसेश्वर स्थान पर जब नंदी ने हनुमान जी को अक्षय कुमार नामक ब्राह्मण और अन्य ब्राह्मणों की हत्या के कारण हनुमान जी को मां नर्मदा के दर्शन नहीं करने दिए गए और तपस्या नहीं करने दी गई शिव दर्शन नहीं दिया तो पश्चात भोलेनाथ ने आकर नंदी को समझाया और फिर प्रायश्चित कर हनुमान जी ने मां नर्मदा के दर्शन किए तपस्या की ।
कथा में पंडित पुरोहित द्वारा बताया गया कि मां नर्मदा की परिक्रमा की मनुष्य के जीवन में बहुत ही बड़ी महिमा है मां नर्मदा के दर्शन मात्र, भजन मात्र से व्यक्ति परलोक को जाता है ।