26 जनवरी 2022 गणतंत्र दिवस पर विशेष _________________________ “देश की आजादी में कुर्बानी देने वाले वीर मनीराम अहिरवार जी : शहीद दर्जा से वंचित”
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लेखक =मूलचन्द मेधोनिया (शहीद सुपौत्र) साहित्यकार एवं सहसंपादक कबीर मिशन समाचार पत्र भोपाल मोबाइल 8878054839
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देश की आजादी हमें मुफ्त में नहीं मिली, अनेकों क्रांतिकारी, शूरवीर और राष्ट्रभक्तों ने विदेशी हूकूमत से लड़कर पानी की तरह अपना खून देश की माटी में सिंचित कर आज आजादी की सांसे लेने का महान कार्य किया है।
मध्यप्रदेश के एकमात्र अनुसूचित जाति के वीर शहीद मनीराम अहिरवार जी जिला नरसिंहपुर तालूका गाडरवारा के नगर चीचली के थे। जो वहाँ के गोंडवाना राजा के राजमहल में सेवादार और सुरक्षा के रूप में काम करते थे। पूर्वजों से ही आदिवासी राजमहल की सेवा, सुरक्षा और वफादार के रूप में वीर मनीराम अहिरवार जी का परिवार सेवारत था ।चीचली के बूढे राजा के निधन के बाद उनके एक मात्र पुत्र थे। जो कि नाबालिक थे, उन्हें भी राज्य भार संभालने के लिये शिक्षा ग्रहण करना था। अतः इस कारण राजमहल में वीर मनीराम अहिरवार को अतिरिक्त सुरक्षा का भार सौंप कर चीचली राजा पढ़ने हेतु बाहर चले गये। 28 वर्षीय युवा, पहलवान कद काठी से ऊंचे बीर मनीराम जो कि निशाना बाज गोप में पत्थर काफी दूर तक चलाने के कलाबाजी थे। सन 19 42 के स्वतंत्रता आंदोलन से और विशेष कर महात्मा गांधी के स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन से वह बहुत प्रभावित थे। राजमहल का सूना होने की खबर अंग्रेजी सेना को मिली उन्होंने 23 अगस्त 19 42 को महल पर कब्जा करने के लिए चढ़ाई कर दी। अंग्रेजी सैनिकों को देखते हुए मनीराम अहिरवार ने उन्हें महल की ओर ना आने को रोका। जबाव में अंग्रेजी सेना से मनीराम अहिरवार पर पहली गोली चलाई। वीर मनीराम जी ने देखा कि महल तो खाली है, उन्होंने अंग्रेजी सेना से आमने सामने युद्ध करने को ललकारा।
अंग्रेजी सेना के हाथ में बंदूकें थी। लेकिन मूल निवासियों को अपनी सुरक्षा के लिए चमड़े का गुलेल (गोप) रहता था। जो कि मनीराम जी के हर समय रहता था। युद्ध के दौरान गोलीबारी के समय जब इन्होंने करतव /जादू के सामान पत्थर लगातार मारे। गांव के युवा क्रांतिकारी वीर मंशाराम जसाटी भी युद्ध में आगे आये। वीरांगना गौरादेवी जी भी युद्ध के बीच मेंआ जाने से वीर मनीराम जी पर चली गोली में पहले मंशाराम जसाटी जी और बाद में वीरांगना गौरादेवी युद्ध में मारे गए।
वीर शहीद मनीराम जी ने अंतिम समय तक युद्ध किया और विजयी होकर अंग्रेजी सेना को गांव से खदेड़ दिया ।अंग्रेजी सैनिकों को उन्होंने ऐसा घायल किया कि वह जान बचाकर भागना पड़ा। दूसरे दिन गिरफ्तारी का दौर हुआ, कुछ लोग गिरफ्तार हुए। कुछ समय बाद अंग्रेजों ने वीर मनीराम को कूटनीति व छल बल से गिरफ्तार किया। उन पर अनंत अत्याचार जुल्म इसलिए किये थे। क्योंकि अंग्रेजी अफसर चाहते थे कि वह गोंडवाना साम्राज्य की गुप्त जानकारी दे। तथा अनुसूचित जाति के युवाओं को अंग्रेजी सेना की गुलामी और बेगारी प्रथा के लिये काम पर लगवाये।
वीर शहीद मनीराम जी ने अंग्रेजी सेना से बोल दिया कि चाहे मेरी जान ले लों। लेकिन मैं चीचली गोंड महल की कोई भी और ना ही मै और मेरा समाज कोई भी गुलामी नही करेगा।
अंततोगत्वा वीर मनीराम जी अहिरवार को अंग्रेजी सेना ने उन्हें अपने गुप्त जेलखाना में दफना कर मात्रृभूमी की बलि दे दी।
देश आजाद होने के बाद स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले हजारों वीरों को सेनानियों व शहीद का दर्जा दिया गया। उनके परिवार जनों को शासकीय लाभ और सुविधाओं को दी गई। जो अच्छी बात है, लेकिन “महार रेजिमेंट” व “चमार रेजिमेंट” और गुरु रविदास समाज के वीर मनीराम अहिरवार जी जैसे महापुरुषों को आज तक कोई सम्मान नहीं दिया गया है। वीर मनीराम जी जबकि मध्यप्रदेश की बहुसंख्यक अहिरवार समाज के महान क्रांतिकारी वीर सपूत मनीराम अहिरवार ने स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजी सेना से मुकाबला कर युद्ध जीता तथा सामाजिक स्वाभिमान के साथ देश के लिए शहादत देने वाले उपेक्षित योद्धवीर मनीराम जी को सरकार राष्ट्रीय शहीद होने का दर्जा प्रदान कर सम्मानित करे। उक्त मांग को लेकर वीर शहीद मनीराम अहिरवार जी के सुपौत्र मूलचन्द मेधोनिया जनमत के आधार पर मांग कर रहे है कि हमारे महापुरुष को सम्मान न देना बेईमानी के साथ घोर उपेक्षा की गई है। वीर मनीराम जी अहिरवार जी की महान शहादत को शत-शत नमन एवं श्रध्दांजलि अर्पित है ।