जनादेश का दोनो दल करे सम्मान,नपा अध्यक्ष हो कांग्रेस का और नपा उपाध्यक्ष हो भाजपा का
हाल ही में सम्पन्न हुए नगर पालिका चुनाव के परिणाम विस्मय भरे रहे।न तुम जीते न हम हारे के तर्ज पर दोनो दलों को जनादेश मिला।बराबर बराबर आठ आठ और दो निर्दलीय की जीत ने असमंजस की स्थिति ला दी है।इन चुनाव परिणामो ने एक बात तो सिद्ध कर दी है कि खंडित जनादेश आमला की नियति है।उल्लेखनीय है कि आमला का मामला हमेशा से ही प्रदेश में सुर्खियों में रहा है पूरे प्रदेश में आमला अकेली नगर पालिका है जहां नपा अध्यक्ष और नपा उपाध्यक्ष का अविश्वास लाना सामान्य बात है।
बात करे इस बार के चुनाव की तो इस बार के नपा चुनावो में भाजपा को बड़े ही बुरे दिन देखने पड़े भाजपा के नपा अध्यक्ष पद के सभी चारो प्रत्याशी पार्षद का चुनाव हार गए।प्रदेश और देश मे शासन करने वाली पार्टी को अपना अध्यक्ष बनाने के लिये इधर उधर देखना पड़ रहा है ये बड़ी ही विचित्र स्थिति है।कहे तो आमला के जनता ने नपा अध्यक्ष पद हेतु भाजपा को नकार दिया है।जनादेश का सम्मान करते हुये सांमजस्य से भाजपा को नपा अध्यक्ष का पद कांग्रेस को दे देना चाहिए।वही दूसरी ओर नपा उपाध्यक्ष पद पर भाजपा को मौका देना चाहिए।कांग्रेस स्वयं आगे आकर भाजपा को नपा उपाध्यक्ष पद देना चाहिये यहां आमला नगर का जनमानस ये है कि कांग्रेस के पढ़े लिखे योग्य उम्मीदवार को नपा अध्यक्ष की बागडोर दी जाए और सबसे अधिक बार चुनाव जीते पार्षद को नपा उपाध्यक्ष की बागडोर सौंपी जाए।इस निर्णय का आमला की जनता बेसब्री से इंतज़ार कर रही है।दोनो दल मिलकर ये आदर्श प्रस्तुत करें जो पूरे प्रदेश में मिसाल बनेगी।सूत्रों कि माने तो भाजपा इस महत्वपूर्ण चुनाव में केवल सत्ता पाने के लिये सही निर्णय न लेकर अपनी छवि के विपरीत निर्णय लेती है तो आने वाले विधानसभा चुनावों में उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ सकता है।पार्टी विथ डिफरेंस का नारा देने वाली भाजपा इस चुनाव में क्या करती है ये तो आने वाले वक्त ही बताएगा।वही कांग्रेस को खोने को कुछ नही है उसने तो अपनी सीटे बढाकर अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज करवाई है।चलते चलते एक महत्वपूर्ण बात भाजपा शासित नपा में नपा अध्यक्ष और नपा उपाध्यक्ष के कार्यकाल की नाकामी भाजपा को ले डूबी।नपा अध्यक्ष नपा उपाध्यक्ष अपना वार्ड भी नही बचा पाए और यहाँ तक कि की भाजपा के ये तथाकथित स्वयम्भू किंगमेकर भाजपा नेता अपना बूथ भी हार गए।इनके कर्मो का बुरा प्रभाव विधायक पर भी पड़ा।विधायक आमला की हर गली हर मोहल्ले में घूमे वहां पिछली परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नाकामी का उन्हें सामना करना पड़ा कही कही खट्टे मीठे अनुभव भी मिले।अब इतने पर भी विधायक न समझे तो जय जय।