बैतूल जिले के इतिहास के बारे में जिले की आधी से ज्यादा आबादी को नही पता
बैतूल जिले के इतिहास के बारे में जिले की आधी से ज्यादा आबादी को पता नहीं है कि जिले का सबंध किस युग – काल – समय से कब – कब रहा है. जिले में घटित मान्यताओं को लेकर कुछ जानकार एवं इतिहासकार तथा पुरात्तव विभाग के विशेषज्ञ अब इस बात पर भी चिंतन मनन करने में जुट गये है कि मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले का प्राचिन एवं पुरात्तव तथा पौराणिक इतिहास क्या है. बैतूल जिले के काफी प्राचिन इतिहास से सूर्यवंश का रिश्ता भी किस तरह जुडा हुआ है. बैतूल जिले में बहने वाली ताप्ती नदी जिसे आदिगंगा – भद्रा – तापी – तपती – तापती सहित दर्जनो नामो से पुकारा जाता है उसका जन्म स्थान मुलतापी – मुलताई बैतूल जिले में ही स्थित है. जिले का प्राचिन इतिहास बताने के लिए हम कुछ प्रमाण प्रस्तुत कर रहे है. जिले में रहने वाली जनजातियों का सबंध किसी न किसी युग एवं काल से मिलता – जुलता है. सतयुग के समय विदर्भ की राजकुमारी दमयंती के साथ विवाह के बाद उसके त्याग के बाद जंगलो में भटकने वाले राजा नल ने जिले के मासोद ग्राम के पास स्थित तालाब की मछली को भूनने का प्रयास किया था लेकिन मछली उछल कर तालाब में जा गिरी. इस क्षेत्र में प्रचलित कथाओं में नल – दमयंती के संदर्भ में यह कहा जाता है कि ऊंचा खेडा पर पटटन गांव, मंगलराजा मोती – दमोती रानी बरूवा बामन कहे कहानी, हमसे कहती उनसे सुनती सोलह बोल की एक कहानी, सुनो महालक्ष्मी रानी, विदर्भ का यह क्षेत्र जिसे महाभारत में चीचकदरा जो वर्तमान में खिचलदरा कहलाता है इस क्षेत्र का राजा कीचक था जो कि विराट के राजा का साला था. कीचक अखडा का नाम कीचकधरा जो वर्तमान में बैतूल एवं पडोसी राज्य महाराष्ट्र के अमरावती जिले के परतवाडा क्षेत्र से लगा हुआ चीखलदरा कहलाता है. राजा कीचक की कुल देवी वेराट देवी का स्थान बैतूल जिले के प्रभात पटट्न गांव में था जो प्राचिन में परपटटन गांव के रूप में जाना जाता था. महाभारत के पूर्व अज्ञातवास के दौरान में पांचो पाडंव राजा कीचक के राज्य में स्थित सालबर्डी की गुफाओं में भी रहे जो कि अभी भी मौजूद है. पांडव पुत्र जीवन संगनी पर बुरी नज़र रखने के कारण ही पांडव पुत्र भीम ने कीचक को मारा था. बैतूल जिले में त्रेतायुग में भगवान श्री राम ने ही मां सूर्य पुत्री ताप्ती नदी के किनारे शिवधाम बारहलिंग में बारह शिवलिंगो की स्थापना ताप्ती के तट पर पत्थरो पर भगवान विश्वकर्मा की मदद से की थी जो अभी भी मौजूद है. इस स्थान पर सीता स्न्नानागार भी मौजूद है जहां पर माता सीता ताप्ती के तट पर स्नान करती थी. इस क्षेत्र में वनो में सीताफल पाये जाते है जिनका उल्लेख रामायण में भी है. रामायण की चौपाई में कहा गया है कि माता सीता पुछती है कि प्रभु अति प्रिय फल मोरा तब भगवान ने इसका नाम सीता जी के नाम पर सीताफल दिया था. कुरूवंश के संस्थापक राजा कुरू की माता ताप्ती का बैतूल जिले में जन्मस्थान के कई प्रमाण है जैसे नारद टेकडी, नारद कुण्ड, सूर्य कुण्ड, धर्मकुण्ड, पाप कुण्ड, शनिकुण्ड, सात कुण्ड बैतूल जिले में ताप्ती जन्मस्थली में मौजूद है. बैतूल जिले में आज भी सबसे अधिक शिवलिंग तापती नदी के किनारे है जो कि इस बात के प्रमाण है कि रावण पुत्र मेघनाथ ने तापती के किनारे कठीन तपस्या की थी. यह क्षेत्र रावण के बलाशाली पुत्र मेघनाथ का राज्य का हिस्सा रहा है इसलिए यहां के मूल निवासी आज भी गांवो में मेघनाथ – रावण – कुंभकरण की पूजा करते है. ताप्ती नदी के किनारे देवलघाट नामक स्थान भी है जहां से देवता बीच नदी में स्थित सुरंग से स्वर्ग को प्रस्थान किये थे. इस जिले में चन्द्र पुत्री पूर्णा का भी जन्मस्थान पुष्पकरणी है जो कि भैसदेही के पास है. बैतूल जिले का प्राचिन इतिहास इस बात को प्रमाणित करता है कि सूर्य एवं चन्द्रवंश की दो देव कन्याओं का इस जिले में उदगम स्थान है तथा इस जिले से ही वे निकल कर भुसावल के पास मिलती है. बैतूल जिले में कई प्राचिन अवशेष भी है जिन्हे आज जरूरत है समझने एवं परखने की.
मां ताप्ती जागृति मंच जिला बैतूल मां सूर्य पुत्री ताप्ती की महिमा को जन – जन तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है. कोई भी जिझासु व्यक्ति कभी भी सम्पर्क कर मिल कर जानकारी प्राप्त कर सकता है. नेट पर भी ताप्ती महिमा के नाम से एवं ताप्ती जी के नाम पर कई कथायें दे