श्रुति की कोख से श्रद्धा जन्म लेती है, :- पंडित श्याम मनावत
जब हम किसी वस्तु या व्यक्ति के बारे में सुनते हैं तभी हमें उसका महत्व पता चलता है, और बिना महत्त्व जाने उसके प्रति श्रद्धा उत्पन्न नहीं हो सकती, इसलिए श्रद्धा के लिए सुनना आवश्यक है। अर्थात- श्रुति की कोख से ही श्रद्धा जन्म लेती है l
कथा के पहले दिन पंडित श्यामजी मनावत ने श्रुति की महिमा और शास्त्र की महिमा का वर्णन किया। आपने कहा कि यदि वेद अन्न हैं तो श्रीमद् भागवत उसका फल है परंतु यदि भागवत फल है तो रामचरितमानस उसका रस है। रामचरितमानस रस का शास्त्र है जीवन का रसायन है। यदि हमें जीवन को सार्थक और सफल बनाना है तो *रामचरितमानस* का आश्रय ग्रहण करना चाहिए। मानस जीवन को जीने की पद्धति और मुक्ति की युक्ति बताता है। मानस मंत्र भी है यंत्र भी है और तंत्र भी है इसलिए इस त्रिवेणी में हम स्नान कर जीवन को कृतार्थ करें।
ग्राम *अन्नधारिया* में आयोजित इस भव्य और दिव्य समारोह के लिए विशाल सुसज्जित पंडाल का निर्माण किया गया है। कथा के पूर्व ग्राम में भव्य शोभायात्रा निकाली गई । पूरे गांव में रंगोली और चौक बनाकर रामचरितमानस का स्वागत किया गया। द्वार द्वार पर पुराण का पूजन हुआ और भक्ति संगीत पर भक्तों एवं श्रद्धालुओं ने नृत्य कर अपना आंनद व्यक्त किया ।