हिंदी साहित्य परिषद संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा मातृभाषा हिंदी भारत की सर्वश्रेष्ठ संपर्क भाषा

पिपरिया हिंदी के रचनाकारों की प्रतिनिधि संस्था हिंदी साहित्य परिषद के तत्वाधान में- हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर एकलव्य कार्यालय में कोरोनावायरस से बचाव के शासकीय निर्देशों का पालन करते हुए एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया l जिसकी अध्यक्षता श्री राजेंद्र हरदेनिया जीने की l

संगोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती जी की पूजा अर्चना के साथ हुआ l कार्यक्रम अध्यक्ष श्री राजेंद्र हरदेनिया, हिंदी साहित्य परिषद के अध्यक्ष तुलाराम बेमन, गोपाल राठी, संस्था के महासचिव ओमप्रकाश भार्गव, कैलाश सराठे सहित उपस्थित साहित्यकार कवियों ने मां सरस्वती जी की पूजा अर्चना की दीप प्रज्वलित करके संगोष्ठी का शुभारंभ किया l

प्रारंभिक चरण में संस्था के अध्यक्ष तुलाराम बेमन इस कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष भव्य समारोह के स्थान पर सिर्फ संक्षिप्त संगोष्ठी तथा काव्य गोष्ठी के आयोजन पर प्रकाश डाला l तत्पश्चात कार्यक्रम अध्यक्ष श्री राजेंद्र हरदेनिया गोपाल राठी संस्था के महासचिव ओमप्रकाश भार्गव एवं कैलाश सराठे ने मातृभाषा हिंदी की महत्ता प्रतिपादित करते हुए हिंदी को देश प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ संपर्क भाषा तथा समृद्ध भाषा बतलाते हुए हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करके सम्मानित करने की अपेक्षा की l

संगोष्ठी के द्वितीय चरण में काव्य गोष्ठी का गरिमामय आयोजन किया गया जिसमें नगर रचनाकारों ने एक से बढ़कर एक मनभावन रचनाएं सुनाईl काव्य गोष्ठी की शुरुआत विनोद शर्मा विनीत ने सरस्वती वंदना से करते हुए हिंदी पर एक हिंदी ग़ज़ल प्रस्तुत की जबकि कैलाश सराठे ने ‘ क्षेत्रीय क्षेत्रीय धर्मगुरु यह गीता का संदेश है ‘ गीत से प्रशंसा अर्जित की वही अखिलेश प्रजापति ने हिंदी पर केंद्रित शानदार गजल ‘ मशहूर हिंदी भरपूर हिंदी ‘ सुना कर तालियां बटोरी l कवि वीरेंद्र बहादुर सिंह ठाकुर ने हिंदी की उपेक्षा पर एक लघु व्यंग्य ‘लोग हिंदी दिवस कुछ इस तरह मना रहे हैं , कि आयोजक हिंदी डिवेलप क्लब बता रहे हैं l जबकि युवा कवि शिव कुमार रावत ने ‘हिंदी हिंदुस्तान में और सबसे पहले हिंदी को अपनाएंगे रचनाएं सुनाकर प्रशंसा पाई , अंतिम कवि के रूप में हिंदी साहित्य परिषद के अध्यक्ष तुलाराम बेमन ने हिंदी के महत्व पर दो मुक्तक सुनाने के बाद एक गीत ‘ओढ़ सितारों वाली चादर अंबर में सोते हैं बादल’ और एक हिंदी गजल ‘गरीबी धन भूख धर्म घर मासान होता है, हर गरीब राह के पत्थर समान होता है’ सुनाकर श्रोताओं की तालियों से सम्मान पाया l

इस अवसर पर साहित्य अनुरागी एवं अवकाश प्राप्त शिक्षक एम एल नायक तथा गुलाब सिंह राजपूत के सौजन्य से सभी रचनाकारों को मास्क भेंट किए गए l कार्यक्रम का सफल संचालन संस्था के महासचिव ओमप्रकाश भार्गव ने तथा आभार प्रदर्शन एकलव्य के व्यवस्थापक कमलेश भार्गव ने किया l

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