जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान पिपरिया की घटना — भाजपाईयों ने भाजपा महिला नेत्रियों के पोस्टर फाड़े
गोपाल राठी
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वैसे तो यह भारतीय जनता पार्टी का आंतरिक मामला है । अगर यह मामला महज़ आंतरिक रहता तो किसी को टीका टिप्पणी करने का अवसर ही नहीं मिलता । लेकिन यह मामला उस समय का है जब 21 सितंबर को पिपरिया में भाजपा की जनआशीर्वाद यात्रा का आगमन हुआ । पूरे नगर को विधायक और उनके गुट के लोगों की फ़ोटो चिपके फ्लेक्स से सजाया गया था । चूंकि यह कार्यक्रम भाजपा का था इसलिए यात्रा के स्वागत अभिनंदन के लिए भाजपा के अन्य नेताओं ने भी अपने बैनर फ्लेक्स लगाए थे । भाजपा में विधायक की दावेदारी करने वाली भाजपा नेत्री जनपद अध्यक्ष सुश्री संध्या सिंगारे और डॉक्टर निष्ठा नागर की ओर से अपनी और अपने समर्थकों की फ़ोटो सहित सभा स्थल और मुख्य मार्ग पर फ्लेक्स लगाए गए थे । सूचना यह मिली है कुछ स्थानों पर इन दोनों नेत्रियों के फोटो वाले फ्लेक्स फाड़ दिए गए । यह काम किसने किया या करवाया उसका नाम सब जानते हैं लेकिन कोई कहता कुछ नहीं है । ज़ाहिर है यह करतूत किसी कांग्रेसी ,किसी कम्युनिस्ट ,किसी अर्बन नक्सलवादी की नहीं है ।
खैर जिसने भी यह कृत्य किया है वे निंदनीय है यह नगर की राजनैतिक संस्कृति के अनुरूप नहीं है । यह लोकतांत्रिक मर्यादा और शालीनता का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है । पिपरिया में ऐसा व्यवहार अपने विरोधी दल या व्यक्ति के साथ भी नहीं किया जाता ।
हमने समता संगठन के बैनर तले कांग्रेसी राज में सरकार से आमने सामने की लड़ाई लड़ी है और चुनावो में कांग्रेस का ज़बरदस्त विरोध किया है । लेकिन कभी किसी कांग्रेसी ने हमारे साथ ऐसी ओछी हरकत नहीं की । यह कृत्य इसलिए गम्भीर है कि यह एक पार्टी के भीतर का मामला है जो जनता के सामने आ गया ।
भाजपा के मंच से लाडली बहिनों और महिला आरक्षण बिल का बार बार ज़िक्र किया जा रहा था । इसलिए भाजपा में इस वक्त जो भी माई बाप है उन्हें इस गम्भीर स्थिति पर विचार करना चाहिए । क्योंकि जो दो फ्लेक्स फाड़े गए है वे उन दोनों महिलाओं के थे जो विधायक पद के लिए दावेदारी कर रही है । ये महिलाएं अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखती है । जिनमें से एक जनपद अध्यक्ष के पद पर है तो दूसरी क्षेत्र की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ है ।
भाजपा नेतृत्व को दोनों महिलाओं से क्षमा मांगनी चाहिए । फ्लेक्स फाड़ने वालो के प्रति अनुशासन की कार्यवाही करनी चाहिए । अगर पार्टी इतना सब नहीं करती तो यह माना जायेगा कि महिला कल्याण की बातें महज़ ढकोसला है । यह वोट कबाड़ने का एक हथकंडा है ।