
नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले आरोपी एवं उसके दुष्पेरण करने वाले आरोपियों को हुआ आजीवन कारावास
( पंकज पाल विशेष संवाददाता )
नर्मदापुरम _ प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश पिपरिया कैलाश प्रसाद मरकाम द्वारा नाबालिग पीड़ित बालिका के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी अरविंद कतिया को भादंवि की धारा की धारा 376 (3), 366, 323 तथा 342 का दोषी पाते हुए 376 (3) भादंवि में आजीवन कारावास व 3200 रुपए जुर्माना तथा अपराध का दुष्प्रेरण करने वाले आरोपी के माता-पिता को धारा 16/17 पाॅस्को एक्ट एवं 368, 323, 342 भादंवि में दोषी पाते हुए धारा 16/17 पाॅस्को एक्ट में आजीवन कारावास व कुल 3400 – 3400 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया ।
शासन की ओर से पैरवी कर रहे सहायक जिला अभियोजन अधिकारी पिपरिया चौधरी विक्रम सिंह द्वारा बताया गया कि 2019 मे पीड़ित बालिका के पिता द्वारा थाना पिपरिया में जाकर रिपोर्ट लिखाई थी उसकी अवयस्क बालिका कहीं गुम हो गई है तथा उन्हें शक है कि भैरव आइसक्रीम वाले के यहां काम करने वाला अरविंद द्वारा उसे बहला फुसलाकर भगा कर ले गया ।
पीड़ित बालिका के लगभग 8 माह पश्चात जनवरी 2020 में दस्तयाब करने के बाद उसके द्वारा बताया गया कि उसे आरोपी अरविंद द्वारा होशंगाबाद स्थित अपने घर ले गया तथा घर में आरोपी अरविंद ने उसके साथ कई बार दुष्कर्म कर अपराध किया था, होशंगाबाद स्थित घर में अरविंद के माता-पिता भी निवास करते थे, इसके बाद आरोपी पीड़ित बालिका को लेकर भोपाल चला गया तथा भोपाल के नीलबड़ स्थित किराये के मकान में लगभग 6 माह तक रखा था तथा वहा भी उसके साथ दुष्कर्म किया था, भोपाल में मकान से 6 महीने रहने के पश्चात पुन: पीड़ित बालिका को होशंगाबाद के मकान में लेकर आया था तथा उस मकान में भी आरोपी के द्वारा बालिका के साथ 1 माह की अवधि में कई बार दुष्कर्म किया था, पीड़ित बालिका के साथ आरोपी अरविंद के माता-पिता द्वारा मारपीट भी की गई थी, पीड़ित बालिका किस तरह भाग कर सेमरी हरचंद पहुंची तथा उसे वहा उसके रिश्तेदार मिले थे ।
पुलिस द्वारा अनुसंधान पूर्ण करते हुए न्यायालय के समक्ष धारा 363, 366, 376 (2) एन 342, 323 भादंवि एवं 5/6 पाॅस्को अधिनियम के अंतर्गत अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था, पीड़ित बालिका की आयु 16 वर्ष से कम होने का अभियोजन द्वारा मामले में न्यायालय से निवेदन कर 376 (3) का आरोप अभियुक्त अरविंद पर तथा 368 एवं धारा 16/17 पाॅस्को एक्ट के आरोप उसके माता-पिता पर विरचित करवाये थे, न्यायालय द्वारा अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य तथा तर्कों के आधार पर आरोपीगणों को विभिन्न धाराओं से दंडित करते हुए आजीवन कारावास तथा अर्थदंड से दंडित किया गया ।