
आज से लागू हुई भारतीय न्याय संहिता की नई धाराएं
( पंकज पाल विशेष संवाददाता )
नर्मदापुरम _ 1 जुलाई से लागू होने वाली धाराओं के संबध में जिले भर में विशेष कार्यक्रम आयोजित कर महिलाओ एवं अन्य लोगो को नई धाराओं के विषय जानकारी दी गई, आपको बता दे की आज से 1860 में बनी आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम में परिवर्तित हो जायेगी ।
पचमढ़ी रोड स्तिथ सिद्धि विनायक गार्डन में आयोजित कार्यक्रम में भारत सरकार के बनाए गए कानून के संबंध में जानकारी देते हुए सहायक लोक अभियोजक चौधरी विक्रम सिंह, पिपरिया एसडीओपी मोहित कुमार यादव, स्टेशन रोड थाना प्रभारी विजय सनस सहित पुलिस स्टाफ काफी संख्या में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, स्व सहायता समूह की महिलाएं, आशा कार्यकर्ताओं को अपने मौलिक अधिकार एवं अन्य अपराध के विषय में महिला सशस्क्ति करण को जागरूक कर अन्य लोगो को जागरूक करने की बात बताई गई ।
इन धाराओं से महिलाओं के प्रति अधिक हितैसी सरल पुलिस सहायता कानून बनाया गया है संगठित अपराध आतंकवाद माबलीचिंग चैन स्कैनिंग आदि में पहली बार स्पष्ट रूप से प्रावधानित कार्रवाई की जाएगी । 18 वर्ष से कम उम्र की युवती के साथ गैंगरेप करने वालों को मृत्युदंड का प्रावधान रहेगा ।
इस कानून के तहत 14 दिन में न्यायालय को संज्ञान लेना आवश्यक होगा, ट्रायल इन एबसेंशिया का प्रावधान होगा आरोप मुक्त होने का निवेदन न्यायालय में सात दिवस के भीतर करना होगा मुकदमा समाप्ति के बाद न्यायालय को 45 दिन में निर्णय देना अनिवार्य होगा, वीडियो रिकॉर्ड रिकॉर्डिंग में पीड़ित महिला का बयान कानूनी प्रक्रिया से किया जाएगा, महिला से शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने या पहचान छुपा कर विवाह करने पर 10 वर्ष की सजा का प्रावधान होगा, महिलाओं व बच्चों के साथ अपराध होने पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी, लैंगिक अपराध में महिला पुलिस पीड़िता की रिपोर्ट पीड़िता के निवास पर माता-पिता की मौजूदगी में लिए जाएंगे, गंभीर अपराध में फोरेंसिक एक्सपर्ट घटनास्थल की जांच करेंगे, किसी भी पुलिस थाने में अब एफआईआर दर्ज की जा सकेगी, घटना स्थल पर वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए मेजिस्ट्रेट को 48 घंटे में घटना संबंधित जानकारी भेजना अनिवार्य होगा, गवाह के बयान वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से की जाएगी, ऐसे कई अपराधिक श्रेणी में आने वाले कृत्य के खिलाफ अलग अलग कानून एवं धाराओं में बदलाब किया गया है जिससे कानून व्यवस्था को नए दंड एवं नियम से निभाया जायेगा ।