भारत सरकार की कंपनी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लद्दाख में 7500 मेगावाट का सोलर पार्क लगाने पर कर रही विचार

लेह में साल के 365 दिनों में से 320 दिन ऐसे हैं जब यहां बेहद चमकदार और सीधी धूप खिलती है. इसका इस्तेमाल सौर ऊर्जा के लिए किया जा सकता है. भारत सरकार की कंपनी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लद्दाख में 7500 मेगावाट का सोलर पार्क लगाना चाहती है.
लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग काफी लंबी थी, यहां के लोग शांति पूर्ण तरीके से प्रदर्शन करते थे. लिहाजा लेह-लद्दाख से चली आवाज दिल्ली आते-आते गुम हो जाती थी. आखिरकार 5 अगस्त 2019 को वो दिन आया जब गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की घोषणा की. लेह और करगिल जिलों को मिलाकर लद्दाख देश का नौवां केंद्र शासित प्रदेश बना है. लेह में पिछले 20 साल से कारोबार कर रहे नामडक लोडस कहते हैं, ‘हम सालों से इसकी मांग कर रहे थे क्योंकि कश्मीर ने कभी लद्दाख को अपना नहीं समझा. अब उम्मीद है हमारा भला होगा. लद्दाख की मुराद तो पूरी हो गई है, अब वक्त है उसके सपनों को पूरा करने का.
लद्दाखी लोगों का मानना है कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद यहां उद्योग धंधे आएंगे इससे कमाई का जरिया बढ़ेगा. जानकार बताते हैं कि लद्दाख में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में असीमित संभावनाएं हैं, लेह में साल के 365 दिनों में से 320 दिन ऐसे हैं जब यहां बेहद चमकदार और सीधी धूप खिलती है. इसका इस्तेमाल सौर ऊर्जा के लिए किया जाता सकता है. भारत सरकार की कंपनी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लद्दाख में 7500 मेगावाट का सोलर पार्क लगाना चाहती है. इसके लिए 45000 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना है. सरकार की योजना है कि साल 2023 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाए. बता दें कि लद्दाख में बहुत कम बारिश होती है और यहां बादल भी कम निकलते हैं.
लद्दाख के लोगों को केंद्र-शासित राज्य का दर्जा पाने की खुशी तो है, लेकिन उन्हें अब अपने जनजातीय पहचान की चिंता है. लद्दाख के लोग अपने लिए जनजातीय क्षेत्र का दर्जा चाहते हैं ताकि देश के दूसरे हिस्सों से लोग आकर यहां बस नहीं पाएं. इस तरह से उन्हें लद्दाख की जनसांख्यिकी बदलने का डर नहीं रहेगा. अनुच्छेद-370 के प्रावधानों की वजह से लद्दाख में जम्मू-कश्मीर से बाहर के व्यक्ति को जमीन खरीदने की इजाजत नहीं थी. 2011 की जनगणना के अनुसार, लेह और कारगिल की 80 फीसदी आबादी और लद्दाख की 90 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है. लद्दाख के लोग चाहते हैं कि जनसंख्या का ये अनुपात आगे भी बरकरार रहे.
लद्दाख का पर्यावरण बेहद नाजुक है. केंद्र शासित प्रदेश बनने से यहां सुविधाएं बढ़ेंगी तो पर्यटन भी बढ़ेगा, यहां के लोगों की कमाई बढ़ेगी, लेकिन इससे साथ-साथ चिंता ये भी है कि बाहरी लोगों के आने का असर पर्यावरण पर पड़ेगा. हालांकि ये चिंता अभी जल्दी है, लेकिन इन्हें लगता है कि बढ़े सैलानियों का असर यहां की इकोलॉजी पर पड़ेगा.
इसे भौगोलिक दुर्गम क्षेत्र कहें या सालों से हुआ नजरअंदाज. लद्दाख के कुछ इलाके आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. लद्दाख का जंस्कर इलाके में अभी तक बिजली और फोन जैसी सुविधा भी नहीं पहुंची है, यहां के लोगों को उम्मीद है कि नई शासन व्यवस्था में उनकी आवाज सुनी जाएगी.
संसद में जब जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पर चर्चा हो रही थी तो जिस शख्स ने अपनी ओर सबका ध्यान खींचा वो थे लद्दाख से बीजेपी सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल. नामग्याल ने अपने संबोधन में न सिर्फ लद्दाखी लोगों को सालों तक नजरअंदाज करने पर नाराजगी जताई बल्कि उन्होंने अपने समुदाय के लोगों की आंकाक्षाओं, उम्मीदों को भी देश की सर्वोच्च पंचायत के जरिए दुनिया के सामने रखा. उन्होंने कहा कि सालों से उपेक्षित पड़ी जनता को अब विकास की जरूरत है. इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था कि लद्दाख में मेडिकल, शिक्षा के आधारभूत ढांचों की कमी है. समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में नामग्याल ने कहा कि सोलर एनर्जी, औषधि के पौधे, स्वास्थ्य और पर्यटन के क्षेत्र में कई लोगों ने रूचि दिखाई है, उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग लद्दाख में बिजनेस शुरू करने के लिए उत्सुक दिखाई दे रहे हैं.

 

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