निशा बांगरे के इस्तीफे पर हाईकोर्ट का सरकार को निर्देश,एक माह में होना था कार्यवाही,अब करें सरकार जल्द कार्यवाही।

 

आमला= प्रदेश सरकार के षड्यंत्र से परेशान होकर सरकार द्वारा अपना इस्तीफा मंजूर न करने पर

हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाली डिप्टी कलेक्टर निशा बागरे को हाईकोर्ट से राहत मिलती नजर आ रही है। बांगरे की याचिका हाई कोर्ट जबलपुर ने स्वीकार कर ली है। पद से इस्तीफा देने के बाद उनका इस्तीफा मंजूर नही हो रहा था। जिसके खिलाफ उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया । जिस पर कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है।

उच्च न्यायालय ने निशा बांगरे की याचिका स्वीकार करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश जारी किए हैं कि एक माह के अंदर निशा बांगरे के इस्तीफा पर कार्यवाही करें। निशा बांगरे की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा और उनके बेटे वरूण तन्खा पैरवी कर रहे हैं।

 

छतरपुर के लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर पदस्थ डिप्टी कलेक्टर ने सरकार से संतान पालन के लिए अवकाश लिया था। इस दौरान आमला में अपने नवनिर्मित घर के गृहप्रवेश कार्यक्रम और सर्वधर्म शांति सम्मेलन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उन्होंने अनुमति मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें अनुमति नहीं दी जिससे नाराज होकर उन्होंने पिछले 22 जून को सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा भेज दिया था। नियमानुसार यह इस्तीफा 1 माह यानी 22 जुलाई तक मंजूर होना था। लेकिन इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ। इस दौरान निशा बांगरे को कई नोटिस जारी हुए है।

मप्र उच्च न्यायालय ने सोमवार को निशा बांगरे की इस याचिका पर सुनवाई की गई। निशा बांगरे की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा के मार्गदर्शन में उनके बेटे वरूण तन्खा ने उनका पक्ष रखा। निशा बांगरे की ओर से रखे गए पक्ष में बताया गया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 24 जनवरी 1973 को मेमो पारित किया था। इसके परिप्रेक्ष्य में उनके त्यागपत्र पर 30 दिन के अंदर कार्यवाही होनी चाहिए थी।

राजनीति में प्रवेश द्वार खुलें

निशा बांगरे इस समय बैतूल जिले के आमला विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय है।उन्होंने आमला में ही अपना घर बना लिया है। और करीब 3 साल आमला में बतोर एसडीएम पर कार्यरत रह चुकी हैं । चर्चाएं है की वे आमला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकती है। हालाकि उन्होंने अब तक राजनीति में जाने की खुले तौर पर स्वीकारीता नही की है। लेकिन जिस तरह वे पूरे क्षेत्र में करीब 5 वर्षो से सामाजिक ,सांस्कृतिक कार्यक्रम में अपनी भागीदारी दे रही है। उससे उनके चुनाव लड़ने के कयास सच साबित होते दिख रहे है। और कमलनाथ के टिकट देने के समीकरणों को समझते हुए और नाथ से निशा की मुलाकात से अंदाजा लगाया जा रहा है की वे राजनीति में आने पर कांग्रेस के साथ जा सकती है। कांग्रेस के पास भी इस क्षेत्र में डॉक्टर योगेश पंडाग्रे के खिलाफ जनप्रिय साफ छबि का मजबूत कैंडिडेट की तलाश जारी हैं।

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