सतपुरा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में फिर हुआ बाघ का शिकार – चूरना रेंज में हुई बड़ी घटना बाघ का सिर काट ले गए शिकारी
( पंकज पाल ब्यूरो चीफ )
नर्मदापुरम / सोहागपुर – सतपुरा टाइगर रिजर्व क्षेत्र सोहागपुर जोन में लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर बाघ का शिकार कर आधे शरीर को जंगल में फेक दिया गया है यही नहीं सबसे सुरक्षित कोर जोन में बाघ का शिकार हुआ शिकारी बाघ की गर्दन काट कर ले गए जिससे जादू टोने की आशंका व्यक्त की जा रही है बाघ का शव चार-पांच दिन पुराना बताया गया, यही नहीं एसपीआर प्रबंधन पिछले 3 दिन से बाघ के शिकार की खबर छुपा रहे थे इससे पहले भी बाघ के शिकार हुए कई शिकारी गिरफ्तार हुए जिसमें अंतरराष्ट्रीय तस्कर चीनी नागरिक जे तमांग आज भी फरार है जिसका रेड कॉर्नर नोटिस जारी है इस क्षेत्र में इसकी दखल अंदाजी रही है बाघ का शिकार होने पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व मे शिकारियों के सक्रिय होने से एसटीआर के अधिकारियों के होश उड गये है, मानसून गश्ती दल पर सवालिया निशान लग गया है, ज्ञात रहे कि सतपुड़ा टाईगर रिजर्व बाघों के कारण जाना जाता है और सबसे सुरक्षित तथा अनुकूल वातावरण बाघ के लिए रहता है ।
गौरतलब रहे कि पिछले दिनों सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की चूरना रेंज के डबरादेव इलाके में एक बाघ का क्षत विक्षत शव मिला था जिसे लेकर अधिकारी शिकार की घटना से पलडा झाड रहे थे, एसटीआर के जिम्मेदार अफसर इस शिकार की घटना को दबाने के लिए 3 दिन से कोशिश करते रहे, आखिर कर तीन दिनो बाद अफसरो ने मुँह खोला और शिकार की पुष्टि की जिस बाघ का शव मिला था उसका शिकार किया गया था शिकारियो ने बाघ का सिर काटकर अलग कर दिया था, टाइगर स्टेट मप्र में एक बार फिर से बाघ के शिकार की घटना ने जिम्मेदारों की लापरवाही उजागर कर दी है, बाघ की गर्दन का अब तक कुछ पता नही चला है, बाघ की मौत कैसे हुई? इस वजह को बताने से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अफसर बचते रहे, इस मामले में शासन प्रशासन को प्राथमिकता से लापरवाही करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई करना चाहिए ।
इस मामले मे एसटीआर के उपसंचालक संदीप फेलोज ने बाघ के शिकार होने की पुष्टि तीन दिन बाद की है, उनके मुताबिक बाघ का सिर काटा गया है अभी कोई भी कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं है टाइगर स्ट्राईक फोर्स विवेचना कर रही है । एसटीएफ और एसटीआर की टीम कुछ संदिग्धों से पूछताछ भी कर रही है । तंत्र-मंत्र क्रिया के लिए टाइगर के शिकार कर गर्दन काटने की आशंका भी जताई जा रही है, एसटीआर में टाइगर के शिकार की पुष्टि होने के बाद अब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा को लेकर एक बड़े सवाल उठ रहे हैं, विभाग रोजाना गश्त के दावे करता है जिस पर सवालिया उठ रहा है, आखिर कैसे एसटीआर की सुरक्षा में चूक हुई? कैसे शिकारी एसटीआर के कोर एरिए में घुसकर बाघ का शिकार कर भाग गए? पांच दिन बाघ का शव मिलना रोजाना की गश्त को कटघरे में खड़ा कर रहा है ।
26 जून सोमवार को चूरना रेंज के डबरादेव बीट में गश्त टीम को बाघ का शव मिला था सूचना मिलते ही एसटीआर के सभी वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे थे, शव क्षत-विक्षत अवस्था में पाया गया था जो कि लगभग 5-7 दिन पुराना था, डॉग स्क्वाड की मदद से क्षेत्र की तलाशी की गई आसपास खोज करने पर मृत्यु संबंधी साक्ष्य नहीं पाए गए ।
क्षेत्र संचालक, उप संचालक तथा एनटीसीए के प्रतिनिधि की उपस्थिति में वन्यप्राणी चिकित्सक दल द्वारा बाघ का पोस्टमार्टम एनटीसीए के प्रोटोकोल अनुसार किया गया, स्थानीय अमले के अनुसार बाघ काफी समय से इसी क्षेत्र में अपना इलाका बनाकर रह रहा था। परीक्षण के लिए पोस्टमार्टम के दौरान बाघ के अवयवों को एकत्रित कर लिया गया, किसी को भनक न लगे जिसके चलते आनन-फानन में बाघ के शव को सभी वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में एनटीसीए के प्रोटोकोल अनुसार जला दिया गया, विभागीय अधिकारियों ने शव के फोटो सार्वजनिक नहीं किए क्योंकि तभी विभागीय लापरवाही उजागर हो जाती ।