खाद्य तेल में बड़ी मिलावट को दरकिनार कर रहा है खाद्य विभाग खुले तेल की बिक्री बंद होने के बाद बड़े पैमाने पर शुरू हुए खाद्य तेल पेकिंग कारोबार

पिपरिया -बड़े दुकानदारो द्वारा बड़ा मुनाफा कमाने के उद्देश्य से खाद्य सामग्रीयो में बड़ी मिलावट का खेल पुराना है। तेल से लेकर मसाला पाउडर तक हर चीज में मिलावट है। ऑइल मिक्सिंग एक यही खेल सामने हुआ है। जिसमें बताया कुछ और जा रहा है और बेचा कुछ और, हर एक उपभोक्ता इस मिलावटी तेल के खेल का शिकार हो रहा है।

जहा शासन ने उपभोक्ता को शुद्ध एवम मिलाबट रहित खाद्य तेल मिल सके उस उद्देश्य से खुले खाद्य तेल की बिक्री पर रोक लगाई , वही बड़े दुकानदारों द्वारा खुले तेल को पेकिंग करने की फैक्ट्री खोल दी गई , जिसमे तेल पैकिंग में बड़े दुकानदारो द्वारा अन्य मिक्स तेल बेचकर ग्राहकों से सोयाबीन , सूरजमुखी, मुगफली तेल का दाम वसूल रहे है। वही देखा जाए तो इनके पास आने वाला खुला तेल को शुद्धता का क्या प्रमाण है इस का कोई भी आकलन नही, बड़ा मुनाफा कमाने के उद्देश्य से तेल पैकिंग फेक्ट्रियो में कई प्रकार के तेल बुला कर इन्हें मिक्स कर पैकिंग कर रहे है, ओर दावे के साथ बेच रहे है। लेकिन हकीकत ये है कि पेकिंग तेल में बेचे जा रहे ज्यादातर खाद्य तेल मिलावटी है। मोटे मुनाफे के लिए महंगे खाद्य तेलों में सस्ते तेल मिला रहे है। इन मिलावटी तेलों को शुद्ध बताकर ग्राहकों से मोटा मुनाफा उगा रहे है। लेकिन दुकानदारों की अधिक कमाई की लालच में ग्राहकों की सेहत पर बन आयी है। मिलावट में कुछ पदार्थों की अधिक मात्रा से गंभीर रोग का खतरा उत्पन्न हो गया है।

तेल में सबसे ज्यादा मिलावट सरसों और मूंगफली, सोयाबीन तेल में हो रही है। वही राइस ब्रान ऑइल के साथ ही खतरनाक एसेंस का उपयोग किया जा रहा है। इससे तैयार तेल को सरसों तेल के रंग में ढालने के लिए अमानक स्तर के पीला रंग मिलाया जा रहा है। कुछ दुकानदारों द्वारा सरसों के जैसा पीला रंग करने के लिए कपड़े रंगने वाले रंगों का तक इस्तेमाल कर रहे रहे है। इसमें मिलाया जाने वाला राइस ब्रान तेल भी अमानक स्तर का होता है। इनसे तैयार तेल के उपयोग से लोगों की आंत और सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। कैंसर तक खतरा है।

नियम दरकिनार

तेलों में मिलावट रोकने के लिए कई कानूनी प्रावधान किए है। इसमें तेल में किसी भी प्रकार के अन्य तेलों की मिलावट होने पर इसकी जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य है। ब्रांडेड कंपनियों द्वारा अपने खाद्य तेल उत्पादों के पैक पर तेलों में मिलाए जाने वाले अन्य तेल की प्रतिशत/मात्रा सहित स्पष्ट जानकारी प्रदर्शित की जा रही है। लेकिन नकली ब्रांड से बिकने वाले तेलों में इस मिलावट की जानकारी नहीं होती है।नकली ब्रांड के तेल में ग्राहकों से धोखाधड़ी ज्यादा हो रही है।

ग्राहक का विश्वास

पिपरिया ,सोहागपुर, इटारसी, मंडीदीप , भोपाल में खाद्य तेल पेकिंग करने बाली बड़ी फेक्ट्री लग गयी है, जिनमे हर रोज अलग अलग ब्रांड में लाखों लीटर तेल पैकिंग किया जा रहा है, सोहागपुर से सत्यम, एम पी गोल्ड, प्रार्थना, एवम अन्य कई ब्रांड वही पिपरिया ,इटारसी ओर मंडीदीप से पैकिंग में आने बाले समर्थ , बालाजी ओर गंगाधारा ब्रांड के पेकिंग तेल गली-मोहल्ले की हर दुकान में बिक रहा है। लेकिन खाद्य एवं आयुष विभाग द्वारा इन ब्रांडो को जांच हेतु सेम्पिल नही उठाई जाते, वही जांच की ढीली गति से मिलावटरखोर तेल निर्माता मनमानी कर रहे है। वे बिना किसी डर के खुलेआम मिलावटी खाद्य तेल के शुद्ध होने का दावा करके ग्राहकों से धोखाधड़ी कर रहे है। वही जांच नहीं होने से मिलावटी खाद्य तेल का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। वही विभागों द्वारा ज्यादातर सेंपल बड़े ब्रांड से लिए जाते है। ये ब्रांडेड तेल जांच में पास हो जाते है। जबकि छोटे और नकली ब्रांड के जरिए मिलावट और कमाई का खेल जारी है।
सोयाबीन का शुद्ध तेल की कीमत लगभग 80 रुपए प्रति लीटर से अधिक है। जबकि इसमें मिलाया जाने वाला अन्य तेल लागभग 50 से 70 रुपए प्रति लीटर तक मिलता है। एेसे में मिलावट खोर निर्माता बहुत बड़ा मुनाफा कमा रहे है , अभी कुछ दिन पहले ही जांच के दौरान हरिओम नमकीन पर 1000लीटर अमानक पाम तेल पकड़ाया, वही क्षेत्रीय पैकिंग फेक्ट्री तेल पेकिंग में कम बजन दे रही थी, जिसमें भी बड़ा मुनाफा कमा रहे थे, परंतु कुछ दिन पहले  प्रचारित खबर का असर रहा है कि बाजार में कम बजन के तेल आना कुछ हद तक बंद हो ।

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