जब राम मंदिरों में अकेले नहीं तो तस्वीरों में क्यों :- गोपाल राठी

 

 

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कुछ दिनों से श्री राम की ऐसी छवि प्रस्तुत की जा रही है ,जिसमें वे प्रत्यंचा पर बाण चढ़ाए ,हवा में उड़ते खुले केश,लाल आंखों के साथ भृकुटि ताने नजर आते हैं ।उनकी भाव भंगिमाएं देखने पर लगता है कि,वे किसी का विनाश करने की ठान ही चुके हैं ।

 

लेकिन हमने जिन श्री राम को पढ़ा है वे तो एक ऐसे आज्ञाकारी पुत्र हैं जो अपने पिता के वचन के चलते अपना राजतिलक छोड़कर वन को चले जाते हैं।

 

धैर्यवान बड़े भाई हैं ,जो अपनी पीड़ा से दुःखित भाईयों की पीड़ा को नही देख सकते ,इस लिए अपनी तकलीफों को उनके सामने नजर नही आने देते ।

 

वे सदाचारी है जो सूर्पनखा के विवाह प्रस्ताव को ठुकराते हैं।

 

मर्यादा पुरुषोत्तम है जो बाली के वध के बाद उसको कारण बताते हैं कि किस प्रकार तुमने निकृष्ट कार्य किया इस लिए मुझे तुम्हारा वध करना पड़ा ।

 

हमारे राम तो जटायु (गिद्ध) को पिता तुल्य मानते हैं और माँ शबरी को दर्शन देने स्वयं उनकी कुटिया में जाते हैं और प्रेम पूर्ण व्यवहार के चलते शबरी को माँ का दर्जा देते हैं , उनके झूठे बेर खाते हैं ।

 

हमारे राम में वयोवृद्ध जामवन्त ,युवा हनुमान और तरुण अंगद जैसी पीढ़ियों को साथ लेकर काम करने की क्षमता हैं ।

 

हमारे राम क्षमावांन हैं वे रावण को भी माता सीता को लौटाने का संदेश देते हैं और युद्ध मे विनाश की सम्भवना को टालते हैं । अंगद को जब दूत बनाकर रावण की सभा मे भेजते है तब वे लक्ष्मण को कहते है, ” सामर्थ्यवान को क्षमा का गुण नही त्यागना चाहिए ,जो जितना शक्तीशाली है उसका दायित्व उतना अधिक बढ़ जाता है।”

 

हमारे राम का लोकतंत्र में इतना विश्वास है कि जब अग्निपरीक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगता है तब अपनी प्रिय पत्नी को भी वनवास के आदेश देते हैं और उसके बाद माता सीता की विरह में जमीन पर सोते हैं। दो बालको द्वारा वाल्मीकि रामायण का गायन अयोध्या में होने देते हैं ,जिसमें लव-कुश द्वारा श्री राम से सीता के वनवास को लेकर सिर्फ प्रश्न ही प्रश्न किये जाते हैं।

 

क्या आप ने कभी मंदिर में अकेले श्री राम की मूर्ति देखी है फिर तस्वीरों में उन्हें अकेले क्यो बताया जा रहा है ? क्या हमने किसी मंदिर में क्रोधित श्री राम की मूर्ति देखी है ,फिर क्यों तस्वीरों में उन्हें क्रोधित बताया जा रहा है ।

 

जो इस प्रकार का कार्य कर रहे हैं उनसे निवेदन है कि कृपया वे श्री राम की छवि समाज में गलत तरीके से प्रस्तुत न करें l

 

 

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