राधा रानी बुला रही है ओर ब्रम्हलीन हो गए पिपरिया के राधे राधे,
विशेष संवाददाता दीपेश पटेल
पिपरिया। मंगलवार तड़के माता मार्ग संगम पिपरिया निवासी डॉ मनीष कुमार बरेले का निधन हो गया। पिछले डेढ़ दशक से मनीष राधा रानी की भक्ति में इस कदर मगन हो गए थे की वृंदावन में ही अधिक समय गुजरता था। पिता रमेश कुमार बरेले ने बताया राधा रानी के प्रेम में पुत्र मनीष ने अपनी वेशभूषा बदल ली थी। आंशिक रूप से कुछ दिनों से बीमार थे और कह रहे थे राधा रानी ने बुलाया है अब जाना होगा और मंगलवार तड़के मनीष अनंत यात्रा पर चले गए।
शोध करने पर मिली थी पी एचडी
मनीष को भागवत और रामायण पर शोध करने पर पीएचडी मिली थी। उन्होंने कृष्ण प्रेम भाव पर 102 दोहों की रचना के साथ कई पुस्तके भी लिखी थी। रामायण भागवत पर शोध करने के लिए तत्कालीन राज्यपाल राम नरेश यादव शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने डॉ मनीष को सम्मानित किया था। आज उनकी अंतिम यात्रा में नागरिक बड़ी संख्या में शामिल हुए।
कृष्ण वेश में सड़कों पर घूमते,बच्चो को बसुरी बजाकर सुनाते
डा मनीष राधा कृष्ण की भक्ति में रम गए थे।नगर के बच्चे उसे राधे राधे के नाम से जानते थे।
हाथ में बांसुरी, सिर पर मोर मुकुट, आंखों में काजल, होंठों पर लाली, गले में माला, पीतांबरी धारण कर जहां से भी गुजरता लोग राधे राधे कहकर उससे हाथ मिलाते थे।बस इतनी सी कहानी थी भाई मनीष बरेले की। विद्वान थे शास्त्रों के ज्ञाता भी थे लेकिन नगर के अधिकांश लोग इस विधा से परिचित नही थे।जहां भी मिलता कोई न कोई गीता जरूर सुनाता आज उसकी बांसुरी हमेशा के लिए मौन हो गई।