जब एक ईसाई फादर ने मानस मंच से पढ़ी राम कथा,पिपरिया नगर के इतिहास को नीचे पढ़े सिर्फ 2 मिनट में
वरिष्ठ नागरिक गोपाल राठी की कलम से।
पिपरिया की गल्लामंडी जो अब पुरानी हो गई ।इस गल्लामंडी में लगभग 75 सालों से रामचरित मानस यज्ञ और सम्मेलन का अनवरत आयोजन हो रहा है । यज्ञ की अवधि में पूरी मंडी को तुलसी नगर के नाम से पुकारा जाता है । यज्ञ शाला और प्रवचन आदि के लिए यह शहर के मध्य सबसे बड़ी जगह रही है । जो स्टेशन के एक दम करीब रही । इस बड़े भूभाग के एक बड़े हिस्से पर भाजपा ने भूमि लीज पर लेकर अपना कार्यालय और दुकाने बना दी और उससे लगी भूमि पर नगरपालिका ने पार्किंग बना दी । कुल मिलाकर स्थिति यह है कि तुलसी नगर का भूगोल गड़बड़ा गया है । कतिपय कठिनाइयों के बावज़ूद इस बार यज्ञ यही होने जा रहा है । अगले आयोजन तक यह भूमि खाली रहेगी या नहीं इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता ? जनचर्चा है कि नगर के भाग्य विधाता पुरानी गल्लामंडी में व्यवसायिक काम्प्लेक्स बनाने के प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहे है । अगर यह प्रोजेक्ट परवान चढ़ा तो गल्ला मंडी और तुलसी नगर इतिहास बन जायेगा ।
पिपरिया में लम्बे समय से चल रहे रामचरित मानस यज्ञ और सम्मलेन में कथा वाचक ,से लेकर बड़े-बड़े विद्वान ,धर्माचार्य और नवोदित प्रवचनकार पिपरिया आते रहे है । सम्मलेन में पधारे बैरागी बाबा ने तो पूरी बस्ती को भगवत रस से सराबोर कर दिया था । उनके लोकप्रिय भजन “मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान् तुम्हारे चरणों में ” ने तो सबको दीवाना बना दिया था l सुश्री उमा भारती बचपन में इस मंच से प्रवचन कर चुकी है । इस मंच पर कुछ सांप्रदायिक मनोवृति और संगठन विशेष की पैरवी करने वाले संत भी संयोग से आ जाते थे ..परन्तु यह अच्छी बात है कि समिति ने इस तरह के भड़काऊ प्रवचनकारो को दुबारा बुलाने से परहेज किया ।
मानस सम्मेलन में कोई ईसाई धर्म प्रचारक रामकथा पर प्रवचन करें यह आज के विषाक्त किए गए वातावरण में संभव नहीं है l
लेकिन उस समय पिपरिया में आयोजित रामचरित मानस यज्ञ और सम्मलेन में फादर कामिल बुल्के का आना पिपरिया नगर के इतिहास की अनोखी घटना थी l जर्मनी मूल के इसाई धर्म प्रचारक डॉ फादर कामिल बुल्क ने भारत के विभिन्न अंचलो ,प्रदेशो और भाषाओ में कही -सुनी -लिखी रामकथाओ के आधार पर शोध परक ग्रन्थ “राम कथा “की रचना कर समस्त राष्ट्र में सम्मान पाया l अहिन्दी भाषी होते हुए उनके द्वारा तैयार हिंदी अंग्रेजी शब्दकोष की उपयोगिता और प्रमाणिकता आज भी है l
फादर कामिल बुल्के ने मानस सम्मलेन के मंच से राम कथा के रूप और रूपको पर अपना प्रवचन दिया था l
उस प्रवास के दौरान फादर कामिल बुल्के महाविद्यालय के शिक्षको और छात्रो के आमन्त्रण पर महाविद्यालय भी पधारे थे और अपने प्रेरनादायी उदबोधन से श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिया था l
फादर कामिल बुल्के को पिपरिया स्टेशन पर विदाई का यह दुर्लभ चित्र है जो लगभग पचास साल से ज़्यादा पुराना है । चित्र में प्रो.वाय.डी. उपाध्याय तथा छात्रगण दिखाई दे रहे है । पिपरिया महाविद्यालय में पदस्थ प्रोफेसर यज्ञदत्त उपाध्याय के सुपुत्र श्री प्रभात रंजन उपाध्याय ( रिटायर्ड SDM ) राजीव रंजन उपाध्याय ( रिटायर्ड उद्योग निरीक्षक ) की महाविद्यालयींन शिक्षा पिपरिया में ही हुई । यह चित्र उनकी लाइब्रेरी से मिला ।