भगवान शिव ने माता पार्वती के आत्मदाह के बाद नर्मदा तट पर साधना की थी! – आचार्य प्रदीप कृष्ण शास्त्री
पिपरिया।अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव जी की उपेक्षा से आहत सती माता पार्वती ने आत्मदाह कर लिया था। क्रोधित शिवजी के द्वारा भेजे अपने गण वीरभद्र ने यज्ञ को तहस नहस करने राजा दक्ष का सिर काट दिया।देवता भयभीत होकर प्राण बचाने शिवजी के पास पहुंचे।शिवजी ने सती के अग्निदग्ध शरीर को हाथ में उठाकर नर्मदा नदी के तट पर जाकर साधना की।
यह उदगार आचार्य पंडित प्रदीप कृष्ण शास्त्री ने इंदिरा गांधी वार्ड,बैनर्जी कालोनी में चौहान परिवार के द्वारा आयोजित नर्मदा पुराण कथा के तीसरे दिन प्रवचन में नर्मदा का महत्व बताते हुए व्यक्त किए।श्री शास्त्री ने कहा कि सती माता पार्वती के जलते हुए त्वचा के 51 टुकड़े अलग अलग जगह गिरे जहां इस संसार में 51 शक्ति पीठ बनी हैं।उन्होंने कहा कि स्त्री को वैवाहिक आयोजनों में सड़कों पर नाचने से बचना चाहिए।यह मर्यादा के विपरीत है।ऐसे आयोजनों में आयोजन स्थल पर संगीत कार्यक्रम में ही नाचने की मर्यादित सलाह दी।इस दौरान श्री शास्त्री ने अनेक प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को संगीतमय कथा का रसपान कराया।कथा के पूर्व प्रातः बेला में विद्वानों के द्वारा मां नर्मदा का विशेष श्रृंगार, पूजन वंदन और अभिषेक किया गया जिसमें जीवन लाल शास्त्री,पार्थ शास्त्री, संदेश शास्त्री, स्पर्श शास्त्री ने वेद वाणी कार्य सम्पन्न कराए गए।
प्रवचन के समय कथा में पण्डित पार्थ पाराशर और टीम ने प्रवचन बीच धार्मिक प्रसंगों में भगवान भोले नाथ और हनुमान जी पर संगीतमय सुमधुर भजन गाकर श्रोताओं को भक्ति में लीन कर दिया।श्रोता झूम उठे।कथा में हनुमान जी की मनमोहक झांकी भी प्रस्तुत की गईं।जिसमें रामभक्ति में झूमते नाचते हुए हनुमान जी के पात्र ने श्रोताओं खासकर बच्चों को भाव विभोर कर दिया।