पिपरिया  में चल रहे श्री राम यज्ञ मानस सम्मेलन एवं नव्हान पारायण में प्रखर वक्ताओं ने सुनाई जीवन की वास्तविकता

दीपेश पटेल विशेष संवादाता

 

 

पिपरिया  में चल रहे श्री राम यज्ञ मानस सम्मेलन एवं नव्हान पारायण ने नगर को भक्ति रस से भर दिया है । कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों भारी भीड़ उमड़ रही है। एवं शहर के धर्मानुरागी बंधु भी कार्यक्रम एवं सेवा में पूरा हिस्सा ले रहे। समिति के सभी सदस्य पूर्ण मनो योग के साथ व्यवस्थाओं में जुटे हुए। कार्यक्रम सुबह ठीक 7:00 बजे से रात्रि 11:00 बजे तक अनवरत चल रहा है । आज कार्यक्रम के प्रथम प्रवचन सत्र में मानस प्रवर मोहन लाल चौबे जी ने अपनी शांत सरस शैली में मनु एवं शतरूपा का प्रसंग सुनाते हुए, भक्ति में भजन पर जोर दिया एवं बतलाया की भजन करने की कोई उम्र नहीं वृद्धावस्था में भजन करने का कोई तात्पर्य नहीं । इसलिए भजन युवा अवस्था में ही करना चाहिए ।आपने तथ्यों के साथ अच्छे विवरण पेश किए ।

प्रवचनों की ऐसी गंगा में श्रद्धालुओं को गोता लगवाने के लिए जबलपुर से पधारी मानस पीयूष आशु श्री आस्था दवे जी ने अपनी अत्यंत मीठी मनोहर वाणी में चोपाई एवं छंदों के माध्यम से बड़े ही सहज रुप से समझाया कि यह संसार एक मेला है। यहां हर व्यक्ति अकेला है ।और यदि किसी साथ है वह सिर्फ भगवान राम ही है। उन्होंने इसे अपनी वाणी कौशल से प्रतिपादित किया ।

क्रम को आगे बढ़ाते हुए चित्रकूट से पधारे राघव किंकर आचार्य श्री आलोक मिश्र जी ने कन्यादान की महत्वता प्रतिपादित की । उन्होंने बड़ी ही गहन गंभीर रोचक तरीके से कंयादान क्यों आवश्यक है, और इसका क्या महत्व है, एवं पूर्व में इसकी योजना क्यों हुई। जैसे अनछुए विषयों पर अपने विचार रखे एवं शास्त्र पद्धति से इनको प्रतिपादित भी किया ।

क्रम को गति देने के लिए झारखंड से पधारी परम पूज्या श्रीमती यशोमती देवी, मानस मुक्ता ने राम वनवास के प्रसंग का वर्णन किया ।जनता में करुण रस का प्रवाह करते हुए राम वन गमन की करुण कथा को बहुत ही भावपूर्ण ढंग से वर्णन कर श्रोताओं को करुण रस से सरावोर कर दिया ।

रात्रिकालीन सत्र की शुरूआत विद्वान पंडित श्री मधुसूदन जी शास्त्री ने की। आपने बेटियों को लेकर बहुत ही सारगर्भित संबोधन दिया। आपने बताया कि सृष्टि का चक्र पूर्ण करने के लिए बेटी क्यों अवश्य है। बेटी क्यों जरुरी है घर के लिए, परिवार के लिए , समाज के लिए । समाज की बेटी के प्रति क्या जवाबदेही एवं जिम्मेदारी बनती है, यह बहुत ही सरस तरीके से समझाया । आपने गर्भपात एवं बेटियों की उद्धार की बड़ी ही मार्मिक चर्चा की ।

तदोपरांत संस्कारधानी से पधारे मानस मृगेंद्र डॉक्टर आचार्य श्री बृजेश दीक्षित जी, ने आज अपने अलग ही अंदाज में पंचवटी में वसंत रितु में प्रेम के प्रसंग की समीक्षा की। विस्तृत चर्चा करते हुए बतलाया कि सीता जी को राम जी से परम कैसे हुआ। परम प्रेम क्या है, और यह सीताजी में कैसे आया। इसका वर्णन करते हुए समझाया कि प्रथम प्रेम दशरथ का शत, दूसरा जनक जी का गूढ़, तीसरा लक्ष्मण जी का पुरातन , प्रेम चौथा भरत जी पुनीत प्रेम , इन चारों के प्रेम को मिलाकर सीता जी का प्रेम बना परम प्रेम जो राम जी के प्रति था। इस बात को बहुत ही सटीक एवम् शास्त्रोक्त ढंग से प्रतिपादित कर श्रोताओं की वाह वाही ली ।

मानस समिति ने धर्मानुरागीओ, निवेदन किया है अधिक से अधिक संख्या में पधारकर इस पुनीत कार्यक्रम सम्मिलित हो कर पुण्य लाभ ले ।

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