ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभा – मजदूर का बेटा बना डॉक्टर
शोभापुर – कहते हैं ना कि हारियो ना हिम्मत बिसारियो ना राम …
ये कहावत चरितार्थ की है कि शोभापुर ग्राम के पास महुआखेड़ा ग्राम के एक युवक ने जिसके माता पिता मजदूरी करके अपने बच्चों को डॉक्टर बनाने में सफल रहे ।
डॉक्टर बसन्त अहिरवार बताते है कि मुझे फक्र है कि मेरे माँ बाप ने मजदूरी मेहनत करके मुझे इस काबिल बनाया, उन्होने बहुत रोचक बातें बतायीं ।
इन बातों में उन्होंने बताया कि मेरे पिता भगवत अहिरवार का सपना था कि मेरा बेटा डॉक्टर बने और इस सपने को पूरा करने के लिए मुझे तमाम दिक्कतों से गुजरना पड़ा लेकिन ये दिक्कतें मेरे पिता के चट्टान दिल को टस से मस ना कर पायीं, उन्होंने बताया माँ ने दिन रात खेतो में काम करके मुझे आज इस मुकाम में खड़ा किया है, डॉ बसन्त अहिरवार ने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि बहुत कुछ सोचता था जब किसी को सूट बूट में देखता था ।
उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता पिता बहन के साथ साथ मामा को भी दिया । बसन्त ने हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी की परीक्षा शोभापुर उच्चत्तर हायर सेकेंडरी स्कूल से पास करने के बाद एमबीबीएस की डिग्री रीवा के कॉलेज से प्राप्त की, हालांकि वह एक बार 12 वीं में अनुत्तीर्ण भी हुए, लेकिन इस असफलता से वो डरे नहीं और अधिक मेहनत के साथ आगे की पढ़ाई करते हुए आज डॉक्टर बने ।
उनके डॉक्टर बनने तक मे आर्थिक खर्च की व्यवस्था के रूप में बताया कि इस बाबत उन्होंने जमींदारों से कर्ज भी लिया और वर्तमान में 10 लाख रुपये के आसपास होगा लेकिन इस सफलता ने कर्ज के बोझ को आसान बनाते हुए उन्होंने अन्य विद्यार्थियों से अपेक्षा की है कि लगन और ध्यान केंद्रित करके हर मुकाम हासिल किया जा सकता है ।
उनकी इस उपलब्धि में राजेश शुक्ला के साथ क्षेत्रीय बन्धुओ ने बधाई प्रेषित की है ।