देश के प्रथम सीडीएस विपिन रावत को प्रथम पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि 

 

देश के प्रथम सी डी एस जनरल विपिन रावत जी की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर स्थानीय ब्लॉक ऑफिस में शहीद स्मारक पर उन्हें याद कर पुष्पांजलि अर्पित की गई एवं उनकी स्मृति में पौधरोपण किया गया।

ग्रीन इंडियन आर्मी के प्रियांशु धारसे द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को विशाल गोलानी द्वारा संबोधित करते हुए बताया कि गत वर्ष एक हेलीकॉप्टर हादसे में देश के प्रथम सीडीएस जनरल विपिन रावत जी शहीद हो गए थे। मूलतः उत्तराखंड से आने वाले विपिन रावत जी को पर्वतपुत्र कहा जाता था । लेकिन वो स्वयं एक ऐसे बड़े पहाड़ बन चुके थे जिससे टकराकर दुश्मन सिर्फ ध्वस्त ही हो सकता था। आपने आगे बताया कि बीआर चोपड़ा की महाभारत में एक दृश्य है, जब रात्रि के समय कुन्ती और गांधारी युद्धभूमि में शरशय्या पर पड़े भीष्म से मिलने जाती हैं। उसी क्षण दो सैनिक एक मृत सैनिक का शव उठा कर संस्कार के लिए ले जा रहे होते हैं। गांधारी उस शव को प्रणाम कर कहती हैं- “मैं नहीं जानती कि आपने पांडवों की ओर से युद्ध किया था या कौरव दल से थे, फिर भी मैं आपको प्रणाम करती हूँ क्योंकि आप इस महान राष्ट्र के सैनिक थे।” राष्ट्रवाद और कुछ नहीं, इसी भावना का नाम है। हमारे देश का सैनिक कश्मीर से लेकर कान्यकुमारी तक कहीं से भी हो सकता है लेकिन सभी के अंदर भाव सिर्फ एक राष्ट्रवाद का होता है।

वे लड़ते लड़ते ही वीरगति प्राप्त करते हैं। वो संसार के सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं के बीच में रथ का चक्का ले कर उतरा बालक अभिमन्यु हो, या युद्धभूमि में लड़ते लड़ते प्राण देने वाली लक्ष्मीबाई सी वीरांगना! ईश्वर बीरों को वीरगति दे कर ही सम्मानित करता है। यही उनके शौर्य का पुरस्कार होता है।

 

श्राद्ध के कर्मकांड में एक विधि होती है, जहाँ मृतक के लिए बने आटे के पिंड को तोड़ कर उसके स्वर्गवासी पिता, पितामह और परपितामह के पिण्ड में मिलाया जाता है। भाव यह होता है कि अब वह व्यक्ति अपने पूर्वजों में मिल गया। राष्ट्र के लिए लड़ते लड़ते प्राण देने वाला सैनिक मृत्यु के बाद सीधे चन्द्रगुप्त,महाराणा ,शिवाजी आदि में मिल जाता होगा।

 

 

 

एक योद्धा सैनिक जब प्रयाण करता है तो वह जाते जाते राष्ट्र को एक साथ खड़ा कर जाता है। पूर्व थलसेनाध्यक्ष रावत जी सहित अन्य वीरों की मृत्यु के बाद शोक में डूबे राष्ट्र को देख कर समझ आता है कि संसार में सबसे अधिक आक्रमण झेलने के बाद भी भारत पूरी प्रतिष्ठा के साथ पुष्पित, पल्लवित हो रहा है तो क्यों हो रहा है। जो राष्ट्र अपने सैनिकों को इस तरह पूजता हो, वह कभी पराजित नहीं हो सकता।

 

योद्धाओं की मृत्यु राष्ट्र में छिपे गद्दारों की भी पहचान कराती है। शोकाकुल समाज के किसी कोने से उठने वाले कहकहे स्पस्ट कर देते हैं उस ‘आधे मोर्चे की लड़ाई’ को, जिसे सामान्य दिनों में समाज देख नहीं पाता। वीरों की मृत्यु पर हँसने वाले गद्दार अब स्पष्ट पहचाने जा रहे हैं, यह भी सुखद ही हैं। देश उन्हें भी याद रखेगा। राष्ट्र गर्व से तनी हुई छाती और उठे हुए मस्तक के साथ प्रणाम करता है तुम्हे!

उपस्तिथ फौजियों की ओर से अजय सोनी ने विषय रखते हुए श्रद्दांजलि अर्पित की। अन्य फौजी नीलम कुमार गुर्जर एवं पुरुषोत्तम प्रजापति विशेष रूप से उपस्थित रहे ।

कार्यक्रम के प्रारंभ में ब्लॉक ऑफिस के जाटव जी ,वरिष्ठ बलवीर पवार जी एवं समाज सेवी गणेश अहिरवार ने विपिन रावत जी के चित्र पर माल्यार्पण कर पूजन अर्चन किया ।

उपस्थित समस्त लोगों ने 2 मिनट का मौन धारण किया एवं पुष्पांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर ग्रीन इंडियन आर्मी के प्रियांशु धारसे , सेवानिवृत फौजी नीलम कुमार गुर्जर – अजय सोनी – पुरुषोत्तम प्रजापति , बलवीर पवार,गणेश अहिरवार ,सुजान्त यादव , आर एस राजपूत , विमल शर्मा आदि अनेको लोग उपस्थित रहे।

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